जैविक खेतीDainik Jagrati
हरी खाद उगाकर मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाएं
मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को बनाये रखने के लिए हरी खाद एक सस्ता और अच्छा विकल्प है। सही समय पर फलीदार पौधे की खड़ी फसल को मिट्टी में ट्रैक्टर से हल चला कर दबा देने की प्रक्रिया द्वारा हरी खाद तैयार करते हैं।_x000D_
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हरी खाद बनाने की प्रक्रिया_x000D_
1. अप्रैल-मई माह में फसल की कटाई के बाद जमीन की सिंचाई कर लें।_x000D_
2. ढेंचा फसल को 55 से 60 दिन की अवस्था में हल चला कर हरी खाद को पुनः खेत में मिला दिया जाता है।_x000D_
3. इस तरह लगभग 10 से 15 टन प्रति हेक्टेयर की दर से हरी खाद उपलब्ध हो जाती है, जिससे लगभग 60 से 80 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर प्राप्त होती है।_x000D_
4. मिट्टी में ढेंचा के पौधों के गलने सड़ने से बैक्टीरिया द्वारा नियत सभी नाइट्रोजन जैविक रूप में मिट्टी को वापस मिल जाते हैं।_x000D_
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हरी खाद के गुण _x000D_
1. जिसको कम पानी या न्यूनतम सिंचाई की आवश्यकता हो।_x000D_
2. जो कम समय में अधिक मात्रा में हरी खाद प्रदान कर सके।_x000D_
3. जिसमें विपरीत परिस्थितियों में भी उगने की क्षमता हो।_x000D_
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हरी खाद के फायदे _x000D_
1. यह खाद सूक्ष्म तत्वों की उपलब्धता को बढ़ाती है।_x000D_
2. यह खाद सूक्ष्म जीवाणुओं की गतिविधियों को बढ़ाती है।_x000D_
3. इस खाद से मिट्टी की संरचना में सुधार होता है।_x000D_
4. हरी खाद के लिए उपयोग किये गये फलीदार पौधे वातावरण से नाइट्रोजन व्यवस्थित करके जड़ गाठ में जमा करते है।
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