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सरसों में सफ़ेद रतुआ (गेरुई) रोग के लक्षण और नियंत्रण
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सरसों में सफ़ेद रतुआ (गेरुई) रोग के लक्षण और नियंत्रण
👉सरसों की फसल में सफेद गेरुई रोग एक गंभीर समस्या है, जिससे उत्पादन में 23-55 प्रतिशत तक की कमी हो सकती है। यह रोग फफूंद के कारण होता है और इसके लक्षण सबसे पहले पत्तियों की निचली सतह पर दिखाई देते हैं, जहां सफेद और पीले फफोले जैसे धब्बे उभर आते हैं। इस रोग से पौधे की वृद्धि रुक जाती है, जिससे पौधा पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो पाता और फूलों का रंग भी बदल जाता है। 👉सफेद गेरुई रोग के कारण तने, फूल और फलियां असमान आकार की और टेढ़ी-मेढ़ी हो जाती हैं, जिससे उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह रोग मुख्य रूप से मध्यम और देर से बोई गई फसलों में अधिक होता है, जबकि जल्दी बोई गई फसलों में इसका प्रभाव कम देखा गया है। 👉इस रोग को नियंत्रित करने के लिए रासायनिक उपाय किए जा सकते हैं। मैंकोजेब 63% + कार्बेन्डाजिम 12% WP घटक वाले मैंडोज़ का 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने से अच्छे परिणाम मिलते हैं। समय पर इस घोल का छिड़काव करने से फसल को इस खतरनाक रोग से बचाया जा सकता है, जिससे उपज में कमी नहीं आएगी और फसल की गुणवत्ता भी बेहतर बनी रहेगी। 👉स्त्रोत:- AgroStar किसान भाइयों ये जानकारी आपको कैसी लगी? हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं और लाइक एवं शेयर करें धन्यवाद।"
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