AgroStar
सभी फसलें
कृषि ज्ञान
कृषि चर्चा
अॅग्री दुकान
वैज्ञानिकों ने विकसित की बाजरा की नई किस्म!
सलाहकार लेखकिसान समाधान
वैज्ञानिकों ने विकसित की बाजरा की नई किस्म!
👉🏻दुनियाभर में बाजरा और बाजरा उत्पादों की मांग लगातार बढती जा रही है, बाजरा आम तौर पर छोटे बीज वाली फसल हैं। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय,हिसार के वैज्ञानिकों ने एचएचबी-311 नामक बाजरा की नई बायोफोर्टीफाइड किस्म विकसित की है। एचएचबी-311 बाजार की किस्म में पोषक तत्वों की मात्रा 👉🏻बाजरा की इस किस्म में अन्य किस्मों के मुकाबले लौह तत्व एवं जिंक क्रमश: 83 व 42 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम पाया जाता है। सामान्य किस्मों में इनकी मात्रा क्रमश: 45-55 व 20-25 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम होती है। अच्छा रखरखाव करने पर एचएचबी 311 किस्म 18.0 क्विंटल प्रति एकड़ तक पैदावार देने की क्षमता रखती है। 👉🏻बाजरे में मुख्य रूप से 12.8 प्रतिशत प्रोटीन, 4.8 ग्राम वसा, 2.3 ग्राम रेशे, 67 ग्राम कार्बोहाइड्रेट एवं खनिज तत्व जैसे कैल्शियम-16 मिली ग्राम, लौह-6 मिली ग्राम, मैग्नीशियम -228 मिली ग्राम, फॉस्फोरस-570 मिली ग्राम, सोडियम-10 मिली ग्राम, जिंक 3.4 मिली ग्राम, पोटैशियम 390 मिली ग्राम व कॉपर-1.5 मिली ग्राम पाया जाता है। इसमें गेहूं एवं चावल से अधिक आवश्यक एमिनो अम्ल पाए जाते हैं। बाजरे के दानों का सेवन सुजन रोधी, उच्च रक्तचाप रोधी, कैंसर रोधी होता है एवं इसमें पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट यौगिक हृदयाघात के जोखिम एवं आंत्र के सूजन को कम करने में मदद करते हैं। बाजरे की नई किस्म एचएचबी-311 की विशेषताएं 👉🏻यह किस्म रोगरोधी है व अन्य किस्मों की तुलना में सूखा चारा व उपज अधिक देने की क्षमता है। यह 75 से 80 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इस नई किस्म के बाजरा के दानों में ग्लूटेन लगभग न के बराबर होता है जबकि गेहूं में यह मुख्य प्रोटीन होता है जो सिलिअक, स्व.प्रतिरक्षित रोग, एथेरोस्क्लेरोसिस, एलर्जी और आंतों की पारगम्यता बिमारी का मुख्य कारण है, इसलिए उक्त बीमारी वाले लोगों को डॉक्टर द्वारा बाजरा खाने की सलाह दी जाती है। बाजरे का सेवन टाइप-2 डायबिटीज को रोकने में सहायक है। इनकी इन्ही विशेषताओं के कारण इसे न्यूट्री सीरियल नाम दिया गया है। 👉🏻बाजरा में गेहूं, धान, मक्का एवं ज्वार की तुलना में शुष्क एवं निम्न उपजाऊ क्षमता, उच्च लवण युक्त भूमि एवं उच्च तापमान के प्रति अधिक प्रतिरोधक क्षमता पाई जाती है। अत: इस फसल का उत्पादन ऐसी भूमि में भी किया जा सकता है जहां पर अन्य फसल लेना संभव न हो। उन्नत किस्मों, अच्छी सस्य क्रियाओं व रोग रोधी किस्मों के विकसित होने से बाजरा की पैदावार व उत्पादकता बढ़ रही है। किन राज्यों के किसान कर सकते हैं बाजरा की नई किस्म एचएचबी-311 की खेती 👉🏻अनुसंधान निदेशक डॉ. एसके सहरावत ने बताया कि इनकी उच्च अनाज और उपजाऊ क्षमता व लौह तत्व की मात्रा और रोग प्रतिरोधिकता को ध्यान में रखते हुए एचएचबी-311 को राष्ट्रीय स्तर पर खेती के लिए इसकी सिफारिश की गई है। इसके तहत जोन-ए जिसमें राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश, पंजाब और दिल्ली और जोन-बी में महाराष्ट्र और तमिलनाडु के लिए खरीफ सीजन के लिए इसकी सिफारिश की गई है। स्रोत:- किसान समाधान, 👉🏻प्रिय किसान भाइयों अपनाएं एग्रोस्टार का बेहतर कृषि ज्ञान और बने एक सफल किसान। दी गई जानकारी उपयोगी लगी, तो इसे लाइक 👍 करें एवं अपने अन्य किसान मित्रों के साथ शेयर करें धन्यवाद!
5
3
अन्य लेख