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बढ़ रही अनाज की कीमत, किसानों के साथ सरकार व व्यापारियों को भी होगा लाभ!
कृषि वार्ताTV 9 Hindi
बढ़ रही अनाज की कीमत, किसानों के साथ सरकार व व्यापारियों को भी होगा लाभ!
👉🏻रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. विशेषज्ञों का मानना है कि इससे भारतीय किसानों को कुछ फायदा हो सकता है. इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि निर्यात के मकसद से व्यापारी अधिक मात्रा में किसानों से गेहूं की ऊंची कीमतों पर खरीद करेंगे, जिसका सीधा लाभ किसानों को होगा. इसके साथ ही सरकार को लाभ मिलने की बात कही जा रही है. दरअसल, पिछले कुछ दिनों से रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष जारी है. इसका असर खाद्य पदार्थों से लेकर तेल की कीमतों तक पर पड़ रहा है। 👉🏻टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, युद्ध के कारण कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है. इसका फायदा किसान के साथ भारतीय व्यापारी भी लेने की कोशिश में हैं. वे किसानों से गेहूं की अधिक से अधिक खरीद करने की तैयारी कर रहे हैं. अगर ऐसा हुआ तो सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं की कम खरीद करनी पड़ेगी, जिससे सब्सिडी का बोझ कम होगा. इस तरह, गेहूं के मामले में किसानों के साथ व्यापारी और सरकार को भी लाभ मिल सकता है। इस वित्त वर्ष 70 लाख टन को पार कर सकता है गेहूं निर्यात:- 👉🏻केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने शनिवार को कहा कि वैश्विक बाजार में गेहूं की कीमतों में बढ़ोतरी से भारत का गेहूं निर्यात बढ़ेगा. उन्होंने कहा कि गेहूं आपूर्ति में रूस और यूक्रेन का हिस्सा एक चौथाई है. दोनों देशों में अगस्त-सितंबर तक पैदावार मिलती है. मौजूदा संकट की वजह से सप्लाई प्रभावित हुई है, जिस वजह से गेहूं की कीमत रिकॉर्ड स्तर पर है। 👉🏻पांडेय ने बताया कि फरवरी के अंत तक हमने 66 लाख टन गेहूं का निर्यात कर चुके हैं. इससे पहले भारत ने 2013-14 में 65 लाख टन गेहूं का निर्यात किया था. उन्होंने कहा कि इस वित्त वर्ष का एक महीना अभी बाकी है. ऐसे में उम्मीद है कि इस बार भारत से गेहूं का निर्यात 70 लाख टन के स्तर को पार कर सकता है। सरकार को MSP पर कम करनी पड़ेगी खरीद:- 👉🏻खाद्य सचिव ने कहा कि यह भारतीय निर्यातकों के लिए एक ‘मौका’ है. भारत में मध्य मार्च तक गेहूं की नई पैदावार आ जाएगी. वहीं भारतीय खाद्य निगम (FCI) के पास अभी कुल 520 लाख टन का खाद्य भंडार है, जिसमें 240 लाख टन सिर्फ गेहूं है. सरकार के लिए भी यह सही समय है कि वह गेहूं के स्टॉक को खुले बाजार में बेचने के लिए मुहैया कराए. लेकिन एक अधिकारी ने बताया कि WTO के नियमों के मुताबिक, सेंट्रल पुल का गेहूं सिर्फ घेरलू उपयोग के लिए होता है. ऐसे में सरकार इसका निर्यात नहीं कर सकती. नई पैदावार बाजार में आ रही है, उसे व्यापारी निर्यात के लिए खरीद सकते हैं और घरेलू जरूरतों के लिए एफसीआई के गोदाम में सरप्लस अनाज का स्टॉक है ही। 👉🏻एक अधिकारी ने कहा कि भारी मांग की वजह से हम निर्यात में तेजी की उम्मीद कर रहे हैं. बहुत अधिक संभावना है कि निजी व्यापारी सीधे किसानों से बड़ी मात्रा में गेहूं की खरीद करें. उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता है तो इसका कुल खरीद पर भी सीधा असर पड़ने की उम्मीद है, क्योंकि सरकार फिर तय खरीद लक्ष्य 440 लाख टन में से सिर्फ 350 से 360 लाख टन गेहूं की खरीद करेगी। स्रोत:- TV 9 Hindi, 👉🏻किसान भाइयों ये जानकारी आपको कैसी लगी? हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं और लाइक एवं शेयर करें धन्यवाद!
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