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फसलों में बीजोपचार के फायदे !
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फसलों में बीजोपचार के फायदे !
✅किसान अब खरीफ की बुवाई की तैयारी में लग गए हैं. उन्हें बहुत सारी फसलों के लिए नर्सरी तैयार करने की आवश्यकता होगी. वही कुछ फसलों की सीधी बुवाई करनी पड़ेगी. ऐसे में उन्हें बुवाई से पहले बीज शोधन या बीज उपचार जरूर करना चाहिए. दरअसल, बीज अनेक रोग, कवक, जीवाणु, विषाणु व सूत्रकृमि आदि के वाहक होते हैं, जो भंडारित बीज एवं खेत में बोये गए बीज को नुकसान पहुंचाते हैं. इससे बीज की गुणवत्ता एवं अंकुरण के साथ-साथ फसल की बढ़वार, रोग से लड़ने की क्षमता, उत्पादकता एवं उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. इस​लिए बीज भंडारण के पूर्व अथवा बुवाई के पूर्व जैविक या रासायनिक अथवा दोनों के द्वारा बीज का उपचार किया जाना आवश्यक है. ✅ बीज उपचार क्या है? बीज उपचार से तात्पर्य बीजों पर फफूंदनाशी, कीटनाशक या दोनों के संयोजन से है, ताकि बीज-जनित या मिट्टी-जनित रोगजनक जीवों और भंडारण कीड़ों से उन्हें मुक्त किया जा सके. ✅ बीज उपचार के लाभ 👇 ▶️पौधों की बीमारियों के प्रसार को रोकता है. ▶️बीज को सड़न और अंकुरों के झुलसने से बचाता है. ▶️अंकुरण में सुधार होता है एवं पौध एक समान होते हैं. ▶️भंडारण कीड़ों से सुरक्षा प्रदान करता है. ▶️मिट्टी के कीड़ों को नियंत्रित करता है. ▶️कम दवा का प्रयोग करके बहुत अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है. ✅ बीज उपचार के प्रकार 1️⃣बीज विसंक्रमण बीज विसंक्रमण से तात्पर्य फफूंद बीजाणुओं के उन्मूलन से है जो बीज आवरण के भीतर या अधिक गहरे बैठे ऊतकों में स्थापित हो गए हैं. प्रभावी नियंत्रण के लिए, कवकनाशी उपचार वास्तव में मौजूद कवक को मारने के लिए बीज में प्रवेश करना चाहिए या उन सतही जीवों के विनाश से है जिन्होंने बीज की सतह को दूषित कर दिया है लेकिन बीज की सतह को संक्रमित नहीं किया है. धूल, घोल या तरल के रूप में लगाए गए रासायनिक डुबकी, सोख, कवकनाशी सफल पाए गए हैं. 2️⃣ बीज संरक्षण बीज संरक्षण का उद्देश्य बीज और युवा पौधे को मिट्टी में ऐसे जीवों से बचाना है जो अन्यथा अंकुरण से पहले बीज के क्षय का कारण बन सकते हैं. निम्नलिखित परिस्थितियों में अवश्य बीज का उपचार किया जाना चाहिए ✅ घाव ग्रस्त बीज बीज के आवरण में किसी भी प्रकार की टूट फूट कवक के लिए बीज में प्रवेश करने और या तो इसे मारने या इससे उत्पन्न होने वाले अंकुर को जगाने का एक उत्कृष्ट अवसर देता है. संयोजन और थ्रेसिंग के संचालन के दौरान, या अत्यधिक ऊंचाई से गिराए जाने से बीजों को यांत्रिक चोट लगती है. वे मौसम या अनुचित भंडारण से भी घायल हो सकते हैं. ✅ रोगग्रस्त बीज बीज फसल के समय भी रोगजीवों से संक्रमित हो सकता है, या प्रसंस्करण के दौरान संक्रमित हो सकता है, यदि दूषित मशीनरी पर संसाधित किया जाता है या दूषित कंटेनर या गोदामों में संग्रहीत किया जाता है. ✅ रोगमुक्त बीज बिना किसी आर्थिक परिणाम से लेकर गंभीर आर्थिक परिणामों तक के रोगजीवों द्वारा बीज हमेशा संक्रमित होते हैं. बीज उपचार से बीमारियों, मिट्टी से पैदा होने वाले जीवों के खिलाफ एक अच्छा बीमा मिलता है और इस प्रकार कमजोर बीजों को सुरक्षा प्रदान करता है जिससे वे अंकुरित हो सकते हैं और पौधे पैदा कर सकते हैं. ✅बीज उपचार कैसे करें? ▶️बीजोपचार ड्रम में बीज और दवा डालकर ढक्कन बंद करके हैंडल द्वारा ड्रम को 5 से 10 मिनट तक घुमाया जाता है. ▶️इस विधि से एक बार में 25-35 किलो ग्राम बीज उपचार किया जा सकता है. ▶️बीज उपचार की पारम्परिक विधि ’’घड़ा विधि’’ है. इस विधि से बीज और दवा को घड़ा में निश्चित मात्रा में डालकर घड़े के मुंह को पालीथीन से बांधकर 10 मिनट तक अच्छी तरह से हिलाया जाता है. थोड़ी देर बाद घड़े का मुंह खोलकर उपचारित बीज को अलग बोरे में रखा जाता है. ▶️बीज उपचार की अन्य विधि ’’प्लास्टिक बोरा’’ विधि है. इस विधि में बीज और दवा को डालकर बोरे के मुंह को रस्सी से बांध दिया जाता है और 10 मिनट तक अच्छी तरह हिलाने के बाद जब दवा की परत बीज के ऊपर अच्छी तरह लग जाये तब बीज को भंडारित अथवा बुआई की जाती है. ▶️ बीज का उपचार रासायनिक विधि से भी किया जाता है. इस विधि में 10 लीटर पानी में फफूंद नाशक /कीटनाशक की निर्धारित मात्रा 2 से 2.5 ग्राम प्रति लीटर की दर से घोल बनाकर गन्ना, आलू, अन्य कंद वाले फसल को 10 मिनिट तक घोल में डुबाकर बुआई की जाती है. धान बीजोपचार 15 प्रतिशत नमक घोल से किया जाता है. ✅ स्त्रोत:-AgroStar किसान भाइयों ये जानकारी आपको कैसी लगी? हमें कमेंट 💬करके ज़रूर बताएं और लाइक 👍एवं शेयर करें धन्यवाद।
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