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नींबू का केंकर (सिट्रस केंकर) रोग एवं नियंत्रण
✅यह रोग एक जीवाणु द्वारा फैलता है, जो पौधों की उपज और गुणवत्ता दोनों पर नकारात्मक असर डालता है। इस रोग की शुरुआत पौधों के तनों, पत्तियों, शाखाओं और फलों पर हल्के पीले दागों के रूप में होती है। धीरे-धीरे ये दाग भूरे रंग के खुरदरे, फटे हुए कार्कनुमा धब्बों में बदल जाते हैं, जो पौधों की सुंदरता और उत्पादन दोनों को प्रभावित करते हैं।
✅जैसे-जैसे रोग बढ़ता है, पत्तियां पीली पड़कर सूखने लगती हैं, जिससे पौधे की वृद्धि रुक जाती है और उत्पादन में भारी गिरावट आती है। इस रोग से ग्रस्त फलों का बाजार मूल्य भी कम हो जाता है क्योंकि उनका आकार और रंग खराब हो जाता है।
✅इस रोग की रोकथाम के लिए समय पर छिड़काव बहुत जरूरी है। इसके लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50% डब्लूजी का 240 ग्राम/100 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। छिड़काव सुबह या शाम के समय करें और आवश्यकतानुसार 7-10 दिन के अंतर से दोहराएं।
✅समय पर पहचान और रोकथाम से इस रोग को नियंत्रित किया जा सकता है और फसल की गुणवत्ता व उपज दोनों को सुरक्षित रखा जा सकता है।
✅स्त्रोत:-AgroStar
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