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देश में पशुपालन और डेयरी को मिला बढ़ावा!
👉किसानों के लिए पशुपालन दैनिक आय का एक अच्छा ज़रिया है। पशुपालन से ना केवल ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार मिलता है बल्कि पशुपालन से किसानों की आमदनी में भी वृद्धि होती है। जिसको देखते हुए पशुपालन और डेयरी विभाग द्वारा पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ चलाई जा रही हैं। केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने राज्य सभा में जानकारी देते हुए बताया कि इन योजनाओं को देश के सभी गांवों में लागू किया गया है। यह योजनाएँ इस प्रकार हैं:-
👉राष्ट्रीय गोकुल मिशन:-
इस योजना का एक घटक किसान जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन करना है, जिसमें प्रजनन शिविर, दूध उत्पादन प्रतियोगिता, बछड़ा स्वास्थ्य में सुधार सम्मिलन और किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम शामिल हैं। किसानों को प्रजनन की नवीनतम तकनीकें उपलब्ध कराई जा रही हैं, जिनमें लिंग-पृथक्कृत वीर्य के साथ कृत्रिम गर्भाधान (एआई), बोवाइन इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) और जीनोमिक चयन शामिल हैं।
👉राष्ट्रीय पशुधन मिशन:-
सरकार की इस योजना का एक उद्देश्य नवाचार एवं विस्तार है। जिसके माध्यम से विस्तार घटक के अंतर्गत राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को सेमिनार, कार्यशालाएं, प्रशिक्षण व पशुपालन से संबंधित किसानों/समूहों, प्रजनक संघों का क्षमता निर्माण, पशुपालन से जुड़ी हुई प्रचार गतिविधियों, कृषि उपज उत्पादकों हेतु खेत संबंधी विद्यालयों के संचालन, किसानों के कई भ्रमण कार्यक्रम, प्रदर्शन गतिविधियों, सोशल मीडिया और दृश्य-श्रव्य सहायता के माध्यम से जागरूकता पैदा करने आदि के लिए सहायता उपलब्ध कराई जाती है। इस योजना के अंतर्गत भेड़, बकरी और सूकरों जैसे पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान की नवीनतम तकनीक को बढ़ावा दिया जाता है।
👉राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम:-
राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम राष्ट्रीय का क्रियान्वयन सहकारी डेयरी क्षेत्र में दूध एवं दूध उत्पादों की खरीद, प्रसंस्करण और विपणन के लिए डेयरी अवसंरचना सृजित करने के उद्देश्य से किया जा रहा है.
👉पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम:-
इस योजना का उद्देश्य खुरपका-मुंहपका और ब्रुसेलोसिस जैसी पशु बीमारियों के नियंत्रण के लिए सहायता प्रदान करने तथा पशुधन के अन्य संक्रामक रोगों पर नियंत्रण पाने के उद्देश्य के साथ राज्य सरकारों को सहायता प्रदान करने के लक्ष्य के साथ किया जा रहा है। इस योजना के तहत किसानों के घर-द्वार पर गुणवत्तापूर्ण पशुधन स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने के लिए सचल पशु चिकित्सा इकाइयां स्थापित की जाती हैं। जागरूकता पैदा करने और प्रचार-प्रसार के लिए भी योजना के तहत सहायता उपलब्ध कराई जाती है।
👉किसान क्रेडिट कार्ड:-
सरकार ने पहली बार पशुपालन किसानों और मत्स्य पालकों को उनकी कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं के लिए किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा प्रदान की है। जिसमें किसान चाहे व्यक्तिगत हों या संयुक्त उधारकर्ता अथवा संयुक्त देयता समूह या फिर स्वयं सहायता समूह, वे सभी इस योजना के तहत प्रोत्साहन पाने के लिए पात्र हैं और विशेष बात यह है कि इसमें स्वामित्व वाले/किराए पर/पट्टे पर शेड रखने वाले काश्तकार भी शामिल किये गए हैं।
👉ए-हेल्प कार्यक्रम:-
किसानों में जागरूकता पैदा करने के लिए विभाग ने “ए हेल्प” (पशुधन उत्पादन के स्वास्थ्य एवं उनकी संख्या बढ़ाने के लिए मान्यता प्राप्त एजेंट) को शामिल किया है। ए-हेल्प स्थानीय पशुधन संसाधन व्यक्ति और पशुपालकों तथा पशु चिकित्सा सेवा प्रदाताओं के बीच संपर्क बिंदु के रूप में कार्य कर रहा है।
👉गोबर प्रबंधन के लिए भी चलाई जा रही है योजना:-
पशुपालन और डेयरी मंत्री ने जानकारी देते हुए बताया कि पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा गोबर के बेहतर प्रबंधन को बढ़ावा दिया जा रहा है। विभाग के प्रयासों से राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड ने वाराणसी दुग्ध संघ में 4000 क्यूबिक मीटर बायोगैस संयंत्र की स्थापना की है, जिसमें किसानों से खरीदे गए 100 मीट्रिक टन गोबर का प्रतिदिन इस्तेमाल किया जाएगा।
👉स्त्रोत:- AgroStar
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