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 झुलसा रोग के कारण, पहचान और इसका उपाय!
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झुलसा रोग के कारण, पहचान और इसका उपाय!
✅ जीरा रबी की प्रमुख फसल है. जीरा का उपयोग खाद्य पदार्थों में महक और स्वादिष्ट बनाने के लिए किया जाता है. इसके अलावा मसाला मिश्रण में भी काम लिया जाता है. ✅ जीरा का उपयोग खाद्य पदार्थों में महक और स्वादिष्ट बनाने के लिए किया जाता है. इसके अलावा मसाला मिश्रण में भी काम लिया जाता है. जीरे से प्राप्त वाष्पशील तेल को साबुन, केश तेल बनाने के लिए काम लिया जाता है. ✅ झुलसा रोग के कारण यह रोग अल्टरनरिया बर्नसाइ नामक कवक के द्वारा होता है. फसल में फूल आने के बाद आसमान में बादल छाने पर यह रोग लगना निश्चित होता है. फूल आने से लेकर फसल पकने तक यह रोग किसी भी अवस्था में हो सकता है. मौसम के अनुकूल होने पर यह रोग बड़ी तेजी से फैलता है. ✅ झुलसा रोग लक्षण रोग के लक्षण सबसे पहले पत्तियों पर छोटे-छोटे भूरे रंग के धब्बे के रूप में दिखाई देते हैं और धीरे-धीरे यह धब्बे बैगनी और अंत में काले रंग में बदल जाते हैं. पत्तियों, तंनो और बीजों पर इसका प्रकोप हो जाता है. पत्तियों के किनारे झुके हुए लगते हैं. संक्रमण के बाद यदि नमी बढ़ जाए या बरसात हो जाए तो रोग ओर उग्र हो जाता है. रोग के लक्षण दिखाई देते ही यदि उपाय नहीं किया तो इससे होने वाले नुकसान को रोकना बड़ा मुश्किल होता है. रोग ग्रसित पौधों में बीज बिलकुल भी नही लगते या लगते हैं तो सिकुड़े हुए होते हैं. ✅ रोकथाम के उपाय ▶ जीरे की फसल में अधिक सिंचाई न करें. ▶ गर्मियों में गहराई जुताई कर खेत को खुला छोड़ देना चाहिए. ▶ स्वस्थ बीजों को ही बीजाई के काम में ले. ▶ रोग को आने से पहले ही रोकने के लिए बीज बोते समय थायरम (Thiram) कवकनाशी (5 ग्रा./कि.ग्रा. बीज) से उपचारित करें. ▶ रोग के लक्षण दिखाई पडते ही हेक्साकोनाजोल 4 प्रतिशत के बने हुए मिश्रण का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें. आवश्यकता पड़ने पर 15 दिन बाद छिड़काव दोहराए. ▶ या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50 WP 500 ग्राम को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव कर दें. ✅ स्त्रोत:- AgroStar किसान भाइयों ये जानकारी आपको कैसी लगी? हमें कमेंट 💬करके ज़रूर बताएं और लाइक 👍एवं शेयर करें धन्यवाद।
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