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जीरे में एकीकृत कीट प्रबंधन (आईपीएम)
गुरु ज्ञानएग्रोस्टार एग्रोनोमी सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस
जीरे में एकीकृत कीट प्रबंधन (आईपीएम)
गुजरात और राजस्थान के अलावा अन्य राज्यों में भी जीरे की खेती बड़े क्षेत्र में होती है। एफिड का संक्रमण फूलों की प्राथमिक अवस्था पर सबसे ज्यादा होता है। अनुकूल पर्यावरण होने की वजह से तैला (थ्रिप्स) भी जीरे की फसल के लिए एक गंभीर कीट बन गया है। चालू सीजन के दौरान कुछ हिस्सों में ‘हेलिकोवर्पा’ लार्वा का संक्रमण भी देखा गया है। जीरे की फसल के खेत के पास से गुजरने वाली सिंचाई की नहर या फिर अधिक पानी की खपत वाली फसलें जैसे टमाटर, बैंगन, भिंडी आदि होने से एफिड्स का संक्रमण अधिक देखा गया है। जीरा शुष्क जलवायु क्षेत्र में उगाया जाता है इसलिए तैला (थ्रिप्स) की मात्रा भी देखी जाती है। एकीकृत कीट प्रबंधन (आईपीएम) - • निगरानी के लिए पीले चिपचिपे जाल @ 10 हेक्टेयर स्थापित करें। • एफिड्स या तैला (थ्रिप्स) के शुरू होने पर नीम के बीज की गिरी का पाउडर @ 500 ग्राम (5% अर्क) या नीम का तेल 30 मिलीलीटर + 10 ग्राम धोने वाला डिटर्जेंट पाउडर प्रति 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। • लेडीबर्ड बीटल, सीरिफिड फ्लाई और क्राइसोपरला जैसे परजीवीयों की आबादी अधिक होने पर कीटनाशक स्प्रे से बचें।
• यदि वातावरण में आर्द्रता अधिक है तो वर्टिसिलियम लैकानी और कवक आधारित कीटनाशक @ 40 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी का छिड़काव करें। • एफिड्स के नियंत्रण के लिए मोनोक्रोटोफॉस 36 WSL @ 10 मिली या क्विनालफॉस 25 EC @ 20 मिली का 15 दिन के अंतराल पर दो बार छिड़काव करें। • तैला (थ्रिप्स) के नियंत्रण के लिए मिथाइल-ओ-डिमेटोन 25 EC @ 10 मिली या एसेफेट 75 SP @ 10 ग्राम या ट्रायजोफॉस 40 EC @ 20 मिली प्रति 10 लीटर पानी में 15 दिनों के अंतराल पर दो बार छिड़काव करें। डॉ. टी.एम. भरपोडा, एंटोमोलॉजी के पूर्व प्रोफेसर, बी ए कालेज ऑफ एग्रीकल्चर, आनंद कृषि विश्वविद्यालय, आनंद- 388 110 (गुजरात भारत)
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