कृषि वार्ताAgroStar
ग्रीष्मकालीन तिल की फसल में सिंचाई की व्यवस्था
👉ग्रीष्मकालीन तिल की फसल को अच्छी बढ़त और अधिक उपज प्राप्त करने के लिए उचित सिंचाई प्रबंधन आवश्यक होता है। इसकी सिंचाई की आवश्यकता मिट्टी के प्रकार और जलवायु परिस्थितियों पर निर्भर करती है। हल्की मिट्टी में पानी जल्दी सूख जाता है, जिससे 8 से 10 दिनों के अंतराल पर लगभग 8 से 10 बार सिंचाई करनी पड़ती है, जबकि भारी मिट्टी में नमी अधिक समय तक बनी रहती है, जिससे सिंचाई की संख्या कम हो सकती है।
👉ग्रीष्मकालीन तिल की फसल को आमतौर पर 5 से 6 बार पानी देने की आवश्यकता होती है। पहली सिंचाई बुवाई के छठे दिन करनी चाहिए, जिससे अंकुरण अच्छा होता है। इसके बाद फूल आने, फली बनने और दाने भरने की अवस्था में सिंचाई करना आवश्यक होता है। अधिक पानी देने से जड़ सड़न और अन्य रोगों का खतरा बढ़ सकता है, इसलिए जरूरत के अनुसार ही सिंचाई करनी चाहिए।
👉सिंचाई के दौरान खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए ताकि अतिरिक्त पानी रुक न सके। संतुलित सिंचाई प्रबंधन से तिल की पैदावार में वृद्धि होती है और फसल की गुणवत्ता बनी रहती है।
👉स्त्रोत:- AgroStar
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