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गन्ने की नई किस्म
🌿गन्ने की एक नई वैराइटी ने गन्ना उत्पादक किसानों में नई उम्मीद जगाई है. केरल में किए गए सफल परीक्षण से पता चला है कि गन्ने की नई किस्म से किसान, कम- पानी, उर्वरक का प्रयोग और साधारण रख-रखाव कर बढ़िया पैदावार प्राप्त कर सकते हैं. 🌿संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) राज्य की केरल हरित मिशन परियोजना ने गन्ने की नई किस्म का सफल परीक्षण किया है. गन्ने की सीओ-86032 किस्म में सूखे और कीटों से हमलों के प्रति अधिक प्रतिरोधक क्षमता पाई गई है. परीक्षण से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, गन्ने की नई किस्म पर सस्टेन सुगरकेन इनीशिएटिव (एसएसआई) के लिए 2021 में पायलट प्रोजेक्ट लागू किया गया था. एसएसआई गन्ने की खेती के लिए एक ऐसी विधि है जिसमें कम गुलियों, कम पानी, उर्वरकों का कम प्रयोग कर फसल में अधिक पैदावार प्राप्त की जा सकती है. 🌿प्रोजेक्ट के कृषि सलाहकार श्रीराम परमशिवम ने कहा कि केरल के मरयूर में पारंपरिक रूप से गन्ने की गुलियों का उपयोग करके सीओ-86032 किस्म की खेती की जाती रही है. लेकिन इस परीक्षण में पहली बार गन्ने की पौध-बीज का इस्तेमाल खेती के लिए किया गया है. तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश राज्यों ने गन्ने की खेती के लिए एसएसआई विधि पहले ही लागू कर दी है. खेती की नई विधि का उद्देश्य कम लागत पर उपज बढ़ाना है. 🌿एक एकड़ फसल के लिए पौध की लागत महज 7.5 हजार रुपये:-मरयूर के एक गन्ना किसान पीएन विजयन का कहना है कि परीक्षण में एकड़ भूमि से 55 टन गन्ना की पैदावार की गई है. सामान्य तौर या पारंपरिक खेती से ये उपज महज 40 टन होती है और इसके लिए किसानों को 30 हजार गन्ना की ठूंठों की आवश्यकता होती है. हालांकि, इस विधि में हमने केवल 5 हजार पौध से ही 55 टन गन्ना प्राप्त किया है. प्रति एकड़ गन्ने की उपज के लिए किसानों को 18 हजार रुपये के गन्ने के गुलियां लने पड़ती हैं जबकि पौधे की लागत आधी लगभग 7.5 हजार रुपये से भी कम है. 🌿स्त्रोत:-Agrostar किसान भाइयों ये जानकारी आपको कैसी लगी? हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं और लाइक एवं शेयर करें धन्यवाद!
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