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गंगा के गाद से बनेगी खाद, लहलहायेंगी फसलें!
कृषि वार्ताKrishi Jagran
गंगा के गाद से बनेगी खाद, लहलहायेंगी फसलें!
👉🏻गंगा नदी, भारत के उत्तरी जलोढ़ मैदानों पर रहने वाले लाखों लोगों के स्वास्थ्य, समृद्धि और आध्यात्मिकता के लिए महत्वपूर्ण है. नदी का उपयोग पीने, बिजली उत्पादन, सिंचाई, मछली उत्पादन और धार्मिक तीर्थयात्राओं के लिए किया जाता है. मगर इसको साफ़ और स्वच्छ करना एक बड़ी समस्या बनती जा रही है. ऐसे में सरकार द्वारा एक अहम कदम उठाया गया है। पवित्र नदी गंगा मैली कैसे हुई? 👉🏻गंगा नदी सीवेज और औद्योगिक कचरे, शवों के निपटान, वनों की कटाई, उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग व स्नान और धार्मिक तीर्थयात्राओं से प्रदूषण के लगातार खतरे में है। 👉🏻पूरी तरह से अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि और नदी में औद्योगिक और मानव अपशिष्ट के निर्वहन को प्रतिबंधित करने वाले कानूनों को लागू करने में विफलता के कारण, यह हर दिन खतरनाक रूप से प्रदूषित हो रहा है, जिससे गंभीर स्वास्थ्य खतरे पैदा हो रहे हैं. मगर इस समस्या से निपटने के लिए समाधान निकाला जा चुका है। मैली गंगा नदी का ऐसा होगा निपटारा:- 👉🏻गंगा से एकत्रित गंदे पानी को साफ कर औद्योगिक इकाइयों को बेचने के अलावा सरकार गंगा नदी की गाद से खाद बनाने के विकल्प पर भी विचार कर रही है. इससे जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा और रसायनों को गंगा में प्रवेश करने से भी रोका जा सकेगा. इसी संदर्भ में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक अशोक कुमार ने कहा कि फास्फोरस और पोषक तत्वों से भरपूर गंगा का उपचारित पानी फसलों के लिए बहुत फायदेमंद है। किसानों की खाद बनेगी गंगा की गाद:- 👉🏻स्वच्छ गंगा के लिए राष्ट्रीय मिशन के महानिदेशक अशोक कुमार ने बताया कि हमने पाया है कि गाद को खाद की तरह माना जा सकता है। 👉🏻अब गंगा गाद को रासायनिक खाद के विकल्प के रूप में तैयार करने पर विचार करते हुए और पिछले दो सप्ताह में इस पर कई दौर की बातचीत भी हो चुकी है. गाद से तैयार खाद किसानों को रियायती दरों पर उपलब्ध कराई जाएगी. अशोक कुमार ने कहा कि यदि गाद में कुछ अन्य पोषक तत्व मिला दिए जाएं तो इससे रासायनिक उर्वरकों के समान लाभ कम हो सकते हैं. इससे जैविक खेती में भी मदद मिलेगी। 👉🏻उन्होंने कहा कि गाद से खाद बनाने के लिए कई कंपनियों से बातचीत चल रही है. किसान इसका उपयोग प्राकृतिक खाद के रूप में कर सकते हैं. इससे गंगा नदी में गाद की समस्या से निजात मिलेगी। 👉🏻उन्होंने कहा कि अगर किसानों को यह खाद उचित मूल्य पर मिलेगी, तो वे रासायनिक खाद की जगह इसका इस्तेमाल करना पसंद करेंगे. यदि रासायनिक खादों का प्रयोग खेतों में कम होगा, तो गंगा नदी में रसायनों की मात्रा भी कम होगी और प्रदूषण का स्तर भी कम होगा। 👉🏻बता दें कि गंगा नदी के किनारे के खेतों में रासायनिक खाद का प्रयोग किया जाता है. बारिश के साथ ये रसायन गंगा नदी में मिल जाते हैं. रासायनिक उर्वरकों में शामिल फॉस्फेट और नाइट्रेट जल प्रदूषण के मुख्य कारक हैं। स्रोत:- Krishi Jagran, 👉🏻किसान भाइयों ये जानकारी आपको कैसी लगी? हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं और लाइक एवं शेयर करें धन्यवाद!
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