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क्या जीरो परसेंट ब्याज पर किसानों लोन देगी सरकार!
समाचारTV9
क्या जीरो परसेंट ब्याज पर किसानों लोन देगी सरकार!
💸मध्य प्रदेश के किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार की पहल. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अधिकारियों से कहा कि कृषि और पशुपालन के अलावा दूसरे क्षेत्रों में भी करें सहकारिता का उपयोग। 💸मध्य प्रदेश सरकार ने जीरो परसेंट (0 %) ब्याज पर किसानों को लोन देने की स्कीम को एक साल के लिए बढ़ाने का फैसला किया है. वर्ष 2022-23 के लिए इस तरह के लोन के लिए 17 हजार करोड़ रुपये बांटने का टारगेट तय किया गया है. वर्तमान वित्त वर्ष में इस योजना के तहत 30 लाख किसान लाभ उठा चुके हैं. इन किसानों को 24 दिसंबर 2021 तक 13 हजार 707 करोड़ रुपये का कर्ज बांटा गया है. ईमानदारी से सरकारी पैसा समय पर वापस करने वाले किसानों को इससे काफी फायदा हो सकता है। 💸पिछले महीने ही वित्त वर्ष 2021-22 के लिए 500 करोड़ रुपये की शासकीय शेयर कैपिटल देने का प्रावधान किया गया है. मार्कफेड (मध्यप्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित) को इस रकम से खरीद और खाद व्यवसाय के लिए बिना ब्याज का पैसा उपलब्ध हो जाने की सुविधा होगी. सहकारिता पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से आयोजित एक बैठक में इस बात की जानकारी दी गई है। 💸नए-नए क्षेत्रों में हो सहकारिता का उपयोग - मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि और पशुपालन के साथ ही नए-नए क्षेत्रों में सहकारिता का उपयोग किया जाए. मत्स्य पालन, बकरी पालन, ग्रामीण परिवहन सेवा, हेल्थ सेक्टर, पर्यटन, विभिन्न खाद्य उत्पादों के प्रसंस्करण कार्य में सहकारिता से सकारात्मक परिवर्तन संभव है. सहकारिता की पहुंच और उसके व्यापक प्रभाव को समझते हुए इसके लिए अधिकारी रोडमैप तैयार करें. गैर पारम्परिक क्षेत्रों में सहकारिता के उपयोग को सुनिश्चित करना आवश्यक है। 💸सहकारिता कर्मचारियों को दी जाए ट्रेनिंग - सीएम ने सहकारिता में कम्प्यूटर के इस्तेमाल को बढ़ावा देने पर जोर दिया. इसी प्रकार बड़े नगरों में गृह निर्माण सहकारी समितियों की अनियमितताओं पर अंकुश लगाने का काम करने को भी कहा. उन्होंने कहा कि प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) को सक्षम बनाने के अभियान को भी गति देना जरूरी है. यह समितियां सहकारिता को बढ़ाने का आधार हैं. इनसे जुड़े कर्मचारियों को उपयोगी प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाए। 💸खराब परफार्मेंस वाले बैंकों पर नजर - उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश में सहकार से समृद्धि के भाव को स्वीकार कर नई सहकारी नीति तैयार की जाए. जिन जिला सहकारी बैंकों का परफार्मेंस बेहतर नहीं है, उन्हें निरंतर शासकीय शेयर कैपिटल देने का औचित्य नहीं है. अन्य राज्यों के सहकारी क्षेत्र में हुए अच्छे कार्यों को मध्यप्रदेश में लागू किया जाए. बड़े नगरों में गृह निर्माण सहकारी समितियों की अनियमितताओं पर नियंत्रण हुआ है, लेकिन इसके लिए एक ऐसी दीर्घकालिक नीति का निर्माण किया जाए, जिसमें किसी भी व्यक्ति के जीवनभर की परिश्रम से कमाई पूंजी व्यर्थ न जाए। स्रोत:- TV9, 👉🏻किसान भाइयों ये जानकारी आपको कैसी लगी? हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं और लाइक एवं शेयर करें धन्यवाद!
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