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केले में प्रकंद सड़न का प्रबंधन!
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केले में प्रकंद सड़न का प्रबंधन!
🌱केले की फसल में प्रकंद सड़न (टिप ओवर) समस्या के लक्षण और नियंत्रण:- केले के पौधों में लगने वाला प्रकंद सड़न रोग केला के बड़े और छोटे सभी तरह के बागों के लिए अत्यंत घातक है। केले के लिए यह रोग काफी घातक और जीवाणु जनित रोग है। केले के नए बागानों में इस रोग की उग्रता खासकर केले के रोपाई से 3 से 4 महीने बाद ज्यादा देखने को मिलती है। 🌱केले के बागों में यह रोग खासकर केले के नए प्रकंदाें पर अधिक स्पष्टता से दिखाई देता है। इस रोग से संक्रमित केले के पौधे सड़ने लगते है तथा उससे दुर्गंध निकलनी शुरू हो जाती है। उन्होंने बताया कि प्रकंद के सड़ने की वजह से केले के पत्ते भी पीले पड़ने लगते है तथा बाद में पूरा पौधा ही अचानक से सूख जाता है। यह रोग बौनी प्रजाति के केलों में ज्यादा खासकर ग्रैंड नैन प्रजाति में अधिक देखने को मिलता है। इस रोग का संक्रमण केले के बागों में संक्रमित पौधों के मलबे और घाव आदि से फैलता हैं। 🌱केले के बागों में इस रोग के लगने का मुख्य कारण बहुत अधिक बारिश के साथ-साथ अचानक मौसम का गर्म और नम दोनों होना होता है। यह रोग केले कि एक अन्य घातक बीमारी पनामा विल्ट से काफी मिलता जुलता है जिससे किसान इस रोग को आसानी से नहीं पहचान पाते हैं। उन्होंने बताया कि इस रोग से आक्रांत पौधों के हिस्से काफी मुलायम हो जाते है एवं उससे पानी निकलना शुरू हो जाता है। 🌱नियंत्रण के उपाए :- प्रकंद को रोपने से 30 घंटे पूर्व कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 40 ग्राम दवा को 10 लीटर पानी एवं स्ट्रेप्टोसाइक्लिन 3 ग्राम दवा को 10 लीटर पानी के साथ घोल तैयार कर किसान उस घोल में प्रकंद को डूबाने के बाद ही केले की रोपाई करें। इसके अलावे किसान प्रकंद की रोपाई के बाद से निरंतर 15 दिनों के अंतराल पर छठे महीने तक स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस नामक दवा से पौधों की ड्रेंचिंग भी करते रहें। 🌱स्त्रोत:-AgroStar किसान भाइयों ये जानकारी आपको कैसी लगी? हमें कमेंट 💬करके ज़रूर बताएं और लाइक 👍एवं शेयर करें धन्यवाद।
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