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एलोवेरा की एक हेक्टेयर खेती से होगी 10 लाख की कमाई!
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एलोवेरा की एक हेक्टेयर खेती से होगी 10 लाख की कमाई!
🌾नमस्कार किसान भाइयों स्वागत है आप का एग्रोस्टार के कृषि लेख में किसान भाइयों,औषधीय खेती बदली रही किसानों की किस्मत, जानिए एलोवेरा पैदा करने की कितनी आती है लागत, कैसी मिट्टी में होती है इसकी अच्छी खेती. क्या है इसकी कीमत. कई कंपनियां कर रही हैं इसकी कांट्रैक्ट फार्मिंग. जानिए इसके बारे में सबकुछ. उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में एलोवेरा की खेती कर रहे एक किसान की कहानी दूसरे किसानों से एकदम अलग है. यहां के मल्लावां निवासी किसान विनोद कुमार कोरोना काल में रोजगार न मिलने के चलते काम छोड़कर अपने घर आ गए थे. उन्हीं दिनों इम्यूनिटी बूस्टर प्रोडक्ट की डिमांड काफी तेजी से बढ़ रही थी. घर के गमले में लगे एलोवेरा के पौधे से बना काढ़ा लोगों की औषधि के रूप में इस्तेमाल हो रहा था. इसे देखकर उन्होंने इसकी बड़े स्तर पर खेती करने का मन बनाया. 🌾इसी को देखते हुए विनोद कुमार ने करीब 1 हेक्टेयर में एलोवेरा की खेती शुरू कर दी. शुरुआत में करीब 50 हजार रुपये की लागत से खेती शुरू की. पहली की कोशिश कामयाब रही. इसकी खेती इतने फायदे का सौदा बन गई कि यह आसपास के किसानों के लिए भी प्रेरणादायक है. कुमार ने बताया कि एक हेक्टेयर में करीब 10 लाख रुपए की कमाई एलोवेरा की खेती से हो रही है. एलोवेरा कई साल तक चलने वाला औषधीय पौधा है. इसकी पत्तियों में विशेष प्रकार की मासल पाई जाती है. इसकी खेती देश के कई शुष्क इलाकों में की जा रही है. 🌾कैसी मिट्टी में होती है इसकी खेती:- राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में बड़ी संख्या में किसान एलोवेरा की खेती कर रहे हैं. कई कंपनियां यहां तक कि बाबा रामदेव भी इस औषधीय खेती पैदा होने वाले एलोवेरा के खरीदारों में शामिल हैं. इसकी खेती में पानी की बहुत कम आवश्यकता पड़ती है. यह न्यूनतम वर्षा में तेजी से बढ़ने वाली फसल है. एलोवेरा की खेती दोमट मिट्टी और रेतीली मिट्टी में भी की जा सकती है. विनोद कुमार ने बताया कि खेत तैयार करने से पहले खेत में करीब 22 टन गोबर की खाद का प्रयोग करते हैं. उसके बाद में एलोवेरा की गांठ को रोप दिया जाता है. 🌾चार महीने में तैयार होती है पहली कटिंग:- इसकी खेती में करीब 5 पत्तों वाले कंदों को उचित दूरी पर रोप दिया जाता है. कतार में ऊंची क्यारियों पर रोपने के बाद में खेती की देखभाल और समय से पानी देने के बाद इसके पेड़ तेजी से आगे बढ़ने लगते हैं. जिला उद्यान निरीक्षक हरिओम ने बताया करीब 1 मीटर छोड़ कर दो लाइन लगाई जाती है. नाली और डोली में लगभग 35 से 40 सेंटीमीटर की दूरी रखी जाती है. मौसम को देखते हुए उचित मात्रा में 1 सप्ताह में पानी देने की आवश्यकता होती है. करीब 4 महीने में पहली कटिंग तैयार हो जाती है. 🌾कितना है भाव:- बाजार में करीब 10 रुपये प्रति किलो भाव प्राप्त हो जाता है. इसका पल्प करीब 20 रुपये तक में चला जाता है. कई कंपनियां इसकी कॉन्ट्रैक्ट खेती भी करा रही हैं. जिससे किसानों को एलोवेरा की खेती से भारी मुनाफा हो रहा है. डॉ. कलीम के मुताबिक बुखार, पीलिया, खांसी, चर्म रोग और सौंदर्य प्रसाधन के लिए एलोवेरा एक औषधि है. कोरोना काल में इसका इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में इस्तेमाल किया गया. गले की खरास को दूर करने के लिए इसका काढ़ा बनाया जाता है. जिला उद्यान अधिकारी सुरेश कुमार ने बताया कि एलोवेरा की खेती के लिए उद्यान विभाग की तरफ से समय-समय पर किसानों को जागरूक किया जाता रहता है. किसानों के खेतों का निरीक्षण भी किया जाता है. किसान इस फसल से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. 🌾स्रोत:- Agrostar किसान भाइयों ये जानकारी आपको कैसी लगी? हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं और लाइक एवं शेयर करें धन्यवाद!
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