गुरु ज्ञानAgrostar
अरंडी की खेती कैसे करे?
◾अरंडी खरीफ की प्रमुख एक तिलहनी फसल है, इसकी खेती आंध्रप्रदेश, गुजरात महाराष्ट्र तमिलनाडु, कर्नाटक, बिहार, उत्तरप्रदेश, पंजाब तथा राजस्थान ( बारमेर, जैसलमेर, जोधपुर, जालोर, सिरोही इत्यादि) शुष्क भागो में की जाती है, राजस्थान में इसकी खेती लगभग 1.48 लाख हेक्टेयर में की जाती है.
◾ इसके बीज में 45-55% तेल तथा 12-16 % प्रोटीन होती है इसके तेल में रिसनोलिक नामक अम्ल पाया जाता है जिसके कारण इसका औद्योगिक महत्व अधिक है, इसका प्रयोग प्रमुख रूप से क्रीम, केश तेल, श्रृंगार,सौन्दर्य प्रशाधन, साबुन कार्बन पेपर, प्रिटिंग इंक, मोम, वार्निश, मरहम, कृतिम रेजिन तथा नायलॉन रेशे के निर्माण में प्रयोग किया जाता है |
◾ भूमि एवं इसकी तैयारी :-
🔸 अरंडी की खेती सभी प्रकार के भूमियों में हो जाती है, लेकिन अच्छी जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी में अरंडी की खेती के लिए उपयुक्त रहती है।
🔸 मानसून के पहले आने वाली वर्षा के तुरन्त बाद हल चलायें और नुकीले पाटे से 2-3 बार पाटा फेरें।
◾ बुवाई का समय एवं विधि :-
🔸 साधरणतः देषी हल चलाने के बाद अरंडी की बुआई करें।
🔸 फर्टीड्रिल, फैस्को हल और एकल कतार बीज ड्रिल से उचित नमी के स्थान पर बीज रखें।
🔸 बुआई का समय- दक्षिण पष्चिम मानसून की वर्षा के तुरन्त बाद बुआई करें, अर्थात खरीफ सीजन में, फसल जुलाई – अगस्त के महीने में बोई जाती है।
◾ बीजदर एवं बीज बोने की दुरी :-
🔸 बीज की दर, बुवाई के उद्देश्य, बुवाई विधि ये कारक पर निर्भर करता है।
🔸 सामान्यतः 2-2.5 किलोग्राम/एकड़ बीज दर का पर्याप्त है |
🔸 वर्षाआधारित क्षेत्रो में 90*60 से.मी. और सिंचित फसल के लिए 120*60 सेमी की दूरी पर्याप्त है |
◾उन्नत किस्मों का चुनाव :-
🔸किस्म- एग्रोस्टार ड्रोनो अरंडी (1 किग्रा) बीज
◾ स्त्रोत:- AgroStar
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