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अब होगा फायदा ही फायदा !
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✅ रबी फसल की कटाई के बाद खेत खाली हो जाते हैं. वहीं, गर्मी में खाली खेत पानी के अभाव में सख्त हो जाते हैं, जिससे बचने के लिए खेत की ग्रीष्मकालीन जुताई बेहद जरूरी है. कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो खेत में केमिकल फर्टिलाइजेशन से जमीन के 6 इंच तक मिट्टी सख्त हो जाती है. इससे खरीफ के सीजन में कल्टीवेटर से जुताई करने पर खेत में 3 इंच तक ही जुताई हो पाती है. इससे खेत का कड़ी मिट्‌टी टूटती नहीं और जड़ों का विकास नहीं हो पाता. इसके लिए किसानों को गर्मी के मौसम में एक बार ग्रीष्मकालीन जुताई करना बेहद जरूरी है. ✅ मई में करें ग्रीष्मकालीन जुताई ग्रीष्मकालीन जुताई करने का सबसे उपयुक्त समय मई का महीना होता है. इस मौसम में तापमान बहुत ज्यादा होता है. इस दौरान जमीन के अंदर कीड़े मकोड़े घर बना लेते हैं. वहीं, जुताई करने से मिट्टी पलटती है, जिससे कीड़ों के साथ उनके अंडे और घर नष्ट हो जाते हैं. इससे वो आगे खरीफ की फसल को नुकसान नहीं पहुंचा पाते. साथ साथ जुताई के बाद मिट्टी के अंदर हवा का संचार होता है. ✅ 6 इंच तक करें जुताई ग्रीष्मकालीन जुताई जमीन में 6 इंच तक करनी जरूरी है. किसी भी फसल के जड़ का विकास 6 से 9 इंच तक होगा, जिससे फसल बेहतर तैयार होती है. इसके लिए किसान ट्रैक्टर के साथ दो हल वाले एमपी फ्लाई, डिस फ्लाई, क्यूचिजन फ्लाई मशीन के हल का इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे खेत में 6 इंच तक गहरी जुताई हो जाती है. जुताई करने पर बारिश होने के बाद खेत में पानी ठहरता है, जिससे मिट्टी में नमी बनी रहती है. ✅ ग्रीष्मकालीन जुताई के लाभ ▶ मिट्टी में होती है कार्बनिक पदार्थो की बढ़ोतरी होती है. ▶मिट्टी के पलट जाने से जलवायु का प्रभाव सुचारू रूप से मिट्टी में होने वाली प्रतिक्रियाओं पर पड़ता है और वायु तथा सूर्य के प्रकाश की सहायता से मिट्टी में विद्यमान खनिज अधिक सुगमता से पौधे के भोजन में परिणित हो जाते हैं. ▶ग्रीष्मकालीन जुताई कीट एवं रोग नियंत्रण में सहायक है. हानिकारक कीड़े तथा रोगों के रोगकारक भूमि की सतह पर आ जाते हैं और तेज धूप से नष्ट हो जाते हैं. ▶ग्रीष्मकालीन जुताई मिट्टी में जीवाणु की सक्रियता बढ़ाती है तथा यह दलहनी फसलों के लिए अधिक उपयोगी है. ▶ग्रीष्मकालीन जुताई खरपतवार नियंत्रण में भी सहायक है. कांस, मोथा आदि के उखड़े हुए भागों को खेत से बाहर फेंक देते हैं. अन्य खरपतवार उखड़ कर सूख जाते हैं। खरपतवारों के बीज गर्मी व धूप से नष्ट हो जाते हैं. ▶ग्रीष्मकालीन जुताई करने से बरसात के पानी द्वारा खेत की मिट्टी कटाव में भारी कमी होती है, अर्थात् अनुसंधान के परिणामों में यह पाया गया है कि गर्मी की जुताई करने से भूमि के कटाव में 66.5 प्रतिशत तक की कमी आती है. ▶ ग्रीष्मकालीन जुताई से गोबर की खाद व अन्य कार्बनिक पदार्थ भूमि में अच्छी तरह मिल जाते हैं. जिससे पोषक तत्व शीघ्र ही फसलों को उपलब्ध हो जाते हैं. ✅ स्त्रोत:-AgroStar किसान भाइयों ये जानकारी आपको कैसी लगी? हमें कमेंट 💬करके ज़रूर बताएं और लाइक 👍एवं शेयर करें धन्यवाद।
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