कृषि वार्ताद इकोनॉमिक टाइम्स
कीमतों में वृद्धि के कारण लाल मिर्च निर्यात में गिरावट
भारत से सबसे ज्यादा निर्यात होनेवाला मसाला फसल लाल मिर्च के उत्पादन में कमी के कारण कीमतों में वृद्धि होकर निर्यात में कमी आई है।
निर्यात फर्म पॅपरीका ओलिओस (इंडिया) के निर्देशक ए.पी. मुरुगन ने कहा कि, इस साल फसल 20% कम होने का अनुमान लगाया है।
पिछले साल के रिकॉर्ड उत्पादन के कारण, कीमतें उससे पिछले साल की तुलना में 50% की कमी हुई थी।
अभी इसके भाव 70-110 रुपये प्रति किलो हैं, यह कीमत एक साल पहले की तुलना में लगभग दोगुना है। निर्यातकों ने कहा कि, यही कारण है कि चीन ने पिछले वर्ष की तुलना में भारत से उतनी ज्यादा मिर्च नहीं खरीदी है।
चीन ने बड़ी मात्रा में मिर्च का उत्पादन किया है। इसलिए भारत से चीन की खरीद अधिक तीखावाला किस्म तक सीमित रहेगी, पिछले साल कम कीमतों के कारण उसने भारत से मध्यम तीखा मिर्च की खरीदी की थी,मुरुगन ने कहा।
हाल के वर्षों में चीन ने बड़ी मात्रा में भारतीय मिर्च की खरीदारी की हैं, इसके साथ भारत से लाल मिर्च का सालाना निर्यात 4 लाख टन से अधिक हुआ हैं और कमार्इ 5,000 करोड़ रुपये से ऊपर गर्इ हैं। 2017-18 में निर्यात की मात्रा 5 लाख टन से ज्यादा होने की उम्मीद है। हालांकि, कीमतों में गिरावट आने से कीमतों में बढ़ोतरी नहीं हो सकती है।निर्यात में सुस्ती की एक और वजह अच्छी गुणवत्ता वाली मिर्च ठंडे
संग्रहण में जाती है, जो मिर्च फसल कटने की शुरुआत में आती है। अभी जो मिर्च उपलब्ध है वह अधिकतर कम गुणवत्ता वाली है,जिसकी खपत स्थानीय स्तर पर ही ज्यादा होती है। तेज गर्मी के मौसम की वजह से मई से आंध्र प्रदेश का बाजार एक महीने के लिए बंद रहेगा, इसके बाद ही निर्यातक निर्यात के बढ़ने की उम्मीद कर सकते हैं।
संदर्भ- द इकोनॉमिक टाइम्स, 07 अप्रैल 18