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पशुओं में अफारा के कारण और उपचार
आम तौर पर, पशुओं को भुसा, हरा चारा एवं सरसों की खली आदि चारे के रूप में दिया जाता है। वर्ष भर अच्छी गुणवत्ता वाले चारे की उपलब्धता निश्चित न होने के कारण पशुओं को कम गुणवत्ता वाला चारा खिलाया जाता है, जिससे पशुओं में अफारा की समस्या हो सकती है यदि समय पर उपचार नहीं किया गया तो इससे पशुओ की मृत्यु भी हो सकती है|
बीमारी होने के कारण
• पशुओ द्वारा नरम चारे का अत्यधिक सेवन, अधिक प्रोटीन की मात्रा वाली और किण्वित (बरसात से पहले की ) ज्वार, बाजरा, मटर और मक्का का हरा चारा या गन्ने की खोई खाने से इस रोग की सम्भावना बढ़ जाती है|
• आहार नाल में बाधा, आंतों एवं जठर की सुजन, धनुस्तंभ, कीड़ों के संक्रमण या फिर शरीर में कैल्शियम की कमी के कारण भी अफारा रोग हो सकता है।
• कभी कभी कुछ जानवरों में आनुवंशिक कारणों से मुंह में लार की मात्रा कम पैदा होने लगती है जिससे भोजन का पाचन सही प्रकार नहीं हो पाता और अफारा की समस्या का कारण बनता है।
• तार, नाखून, लकड़ी, स्टील शीट, चमड़े, कपड़ा, प्लास्टिक या ऐसे गैर-पाचन वस्तु जैसे गैर-खाद्य पदार्थों के कारण भी अफारा की समस्या हो सकती है।
लक्षण:
• पशु खाना पीना छोड़ देता है और सुस्त दिखाई देता है।
• पेट का बाईं ओर का हिस्सा फूल कर बढ़ जाता है, पशु बार-बार दांत पीसता एवं पीछे के पैरों को पटकता है या पेट को लात मारता है|
• पेट में गैस भरने से पशुओं को साँस लेने में तकलीफ होती है और शरीर में पानी में पानी का स्तर कम हो जाता है।
• सही समय पर उपचार न होने पर पशु की की मौत हो जाती है।
उपचार
• अफारा के प्राथमिक लक्षण दिखाई देने पर तत्काल पशु चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए। पशुओं को दिया जाने वाला चारा और पानी जिससे पेट में गैस बनती है, उसे तुरंत बंद करना चाहिए।
• पशुओं को इस तरह बांधना चाहिए कि उसके सामने वाले पैर ऊपर की ओर, और पीछे के पैर नीचे की ओर हो, ताकि फूली हुए आंत का दबाव फेफड़ों पर न पड़े।
• अधिक नरम चारा, प्रोटीन की अतिरिक्त मात्रा, ज्वार का किण्वित हरा चारा, बाजरा, मटर और मक्का, गन्ने का गुड़, बगैसा अधिक मात्रा में नहीं देना चाहिए।
• कृमि के हमले से बचने के लिए, हर तीन महीनों के अंतराल के बाद पशुओं को डीवर्मिंग (कृमिमुक्त) दवा दें। हर दिन आहार के माध्यम से 50 ग्राम नमक का मिश्रण दे। बचा हुआ सड़ा भोजन, सब्जियां नहीं देना चाहिए।
• ज्वार, गेहूं, बाजरा और अनाज चारा अधिक मात्रा में न दें। तार, नाखून, लकड़ी, स्टील की शीट, चमड़े, कपड़ा, प्लास्टिक या कोई भी गैर-खाने योग्य वस्तुएं जानवरों के पेट में जाने से रोकें।
संदर्भ- एग्रोवन 30 मार्च 2018