पशुपालनगांव कनेक्शन
पशु के पेट में कीड़े से नुकसान और उनसे बचाव का तरीका
पशुओं के पेट में कीड़े पड़ना एक बड़ी समस्या है। पशु के पेट में कीड़े हैं तो उसको जो भी खाद्य पदार्थ खिलाया जाता है उसका 30 से 40 प्रतिशत हिस्सा कीड़े खा जाते हैं। पशु के पेट में कीड़े पड़ने से उनका स्वास्थ्य तो कमजोर होता ही है साथ ही पशुपालक को आर्थिक नुकसान भी होता है। पशुपालक जानकारी के अभाव में पेट के कीड़े (कृमि) की दवा नहीं देते हैं। अगर पशुपालक अपने पशुओं को हर तीन महीने पर पेट के कीड़े की दवा दें तो पशुपालक के लिए पशुपालन और भी मुनाफे का सौदा होगा और इससे होने वाले नुकसान को 30-40 प्रतिशत कम किया जा सकता है।
पशु के पेट में कीड़े होने के लक्षण
• अगर पशु मिट्टी खाने लगे।
• पशु सुस्त और कमजोर दिखता है।
• मैटमैले रंग का बदबूदार दस्त आता है।
• गोबर में काला खून व कीड़े दिखना।
• पशु के चारा खाते हुए भी शरीर की वृद्धि कम और पेट का बढ़ जाना।
• पशु में खून की कमी होना।
• अचानक दूध कम कर देना।
• गर्भधारण में परेशानी (अगर पशु को पेट के कीड़े मारने की दवाई नहीं देते तब पशु की गर्भधारण शक्ति कम हो जाती है या गर्भ नहीं रहता।)
महत्वपूर्ण बातें
• हर तीन महीने पर पशुओं को पेट के कीड़े (कृमिनाशक) डीवेरमैक्स की दवा दें।
• पशुओं के गोबर की जांच कराने के बाद ही पेट के कीड़ों की दवाई दें। जांच के लिए पशु के गोबर को एक छोटी डिब्बी में इकट्ठा करें।
• बीमार और कमजोर पशुओं को पशुचिकित्सक की सलाह लेकर ही कृमिनाशक की दवा दें।
• पशुओं का टीकाकरण करवाने से पहले पशुओं को आंत के कीड़ों की दवाई जरूर दें। टीकाकरण के बाद दवा न दें।
• अगर टीकाकरण के बाद दे रहें हैं तो तुरंत न देकर 15 दिन के बाद ही दवा खिलाएं।
• पशुचिकित्सक की सलाह से ही कृमिनाशक की दवा दें।
• पशुओ को शुद्ध चारा एवं दाना खिलाना चाहिए।
• साफ पानी पिलाएं।
स्रोत : गांव कनेक्शन
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