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गन्ने की नई किस्म एमएस 10001
कृषि वार्ताएग्रोवन
गन्ने की नई किस्म एमएस 10001
गन्ने की नई किस्म, एमएस 10001, गन्ना और चीनी की अधिक उपज देनेवाली, जल्दी पकनेवाली, रोगों और कीटों से कम प्रभावित होनेवाली, खारी मिट्टी में अच्छी तरह बढनेवाली, पेड़ी फसल की अच्छी उपज देनेवाली है, इसलिए किसानों के लिए यह फायदेमंद हैं।
चीनी कारखानों को अलग किस्मों की ज़रूरत होती है जो अधिक चीनी देती है और जल्दी से पिरोई जाती है, साथ ही किसानों को भी अलग किस्मों की जरूरत होती है जो कि अधिक उपज देती हैं। इन दोनों बातों को ध्यान में रखते हुए, केंद्रीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, पाडेगांव, ने एक नई किस्म एमएस 10001 विकसित की है। वर्ष 2010 से इस किस्म का परीक्षण पाडेगांव, कोल्हापुर, वसंतदादा शक्कर संस्थान, पुणे और महाराष्ट्र में प्रवरानगर में किया गया। सभी 33 परीक्षणों में, इस किस्म की उपज कोएम 0265, को -86032 और वीएसआई 434 किस्मों से 2.0 9, 11.31 और 32.74% अधिक थी और चीनी उपज क्रमशः 9.04,11.31 और 32.74% अधिक थी। • यह किस्म कोएम 0265 (फुले 265) और एमएस 0602 के संकरण द्वारा विकसित की गइ है। मई 2017 में हुए महाराष्ट्र के चार कृषि विश्वविद्यालयों के संयुक्त अनुसंधान और विकास सम्मेलन में इस किस्म की वर्तमान और पूर्व सीजन की खेती के लिए महाराष्ट्र में बढ़ावा दिया गया है। • 1 सितंबर, 2017 को गन्ना ब्रीडिंग इंस्टीट्यूट कोयम्बटूर में आयोजित अखिल भारतीय समन्वित गन्ना अनुसंधान योजना के राष्ट्रीय स्तर की तकनीकी संगोष्ठी में, 10001 (10 से 12 महीनों) जल्दी परिपक्व होने वाली किस्म को उष्णकटिबंधीय दक्षिण के छह भारतीय राज्य (गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश) में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ । किस्म के लक्षण • जल्दी परिपक्व होने वाली किस्म (10 से 12 महीने) • पिरोने के लिए उपयुक्त गन्ने सेट्स की संख्या (औसत 1,00,000 / हेक्टेयर), मोटाई (3.5 सेमी) और गन्ने का औसत वजन (1.56 किग्रा) है और यह सीओ -86032 से अधिक • औसत गन्ना उत्पादन (137.88 टन / हेक्टेयर) और चीनी उपज (19.87 टन / हेक्टेयर) प्राप्त होता है। • वर्तमान सीजन में, प्रति हेक्टेयर औसत उत्पाद (135.76 टन / हेक्टेयर) और चीनी उपज (19.75 टन / हैकटर) है। पूर्व-मौसम में, प्रति हेक्टेयर औसत उत्पाद (151.36 टन / हेक्टेयर) और चीनी उपज (22.02 टन / हेक्टेयर) है। • मध्यम से भारी मिट्टी में अच्छी तरह से बढ़ता है साथ क्षारीय और चिपचिपी मिट्टी में (पीएच 8.5 से 9.5)। उपज भी अच्छी है • आवरण आसानी से हटा दिया जाता है, ताकी फसल के लिए आसानी हो पत्तीओं की धार पर कम काॅंटे होते हैं • पत्तियां हरी होती हैं और आवरण की मात्रा बहुत कम है। इसलिए पत्तियों का चारे के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। • वर्तमान और पूर्व मौसम के लिए सुझाई जाती है। पेड़ी फसल भी अच्छी होती है। • कंडुआ, म्लानि रोग और लाल गलन जैसे रोगों के प्रति प्रतिरोधक। • इसमें तना छेदक, गन्ना बोरर, फली छेदक और वुली एफिड(ऊनी माहू) जैसी कीटों के कम आक्रमण होते हैं • यह किस्म पानी तनाव के लिए अप्रभावित है • यहां तक कि अगर कटाई में देर हो, तो भी गन्ना अंदर से खोखला नहीं होता । इसका वजन और चीनी उत्पादन में कमी नहीं होती है। क्षारीय मिट्टी में खेती के लिए उपयुक्त है। • अन्य किस्मों की तुलना में क्षारीय मिट्टी में अच्छी तरह बढ़ता है इससे अच्छी आमदनी भी होती है • चूंकि यह पानी का तनाव बर्दाश्त कर सकता है, इसे कम पानी की उपलब्धता वाले क्षेत्र में भी उगाया जा सकता है • पेड़ी फसल में शाखाओं का अच्छा विकास होता है विकास और सेट्स की संख्या और की मोटाई एक समान होती है। इस किस्म से 3 से 4 पेड़ी फसल लेना संभव है। इसलिए यह खर्च बचाता है संदर्भ - एग्रोवन 27 सितम्बर 17
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