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गुरु ज्ञानएग्रोस्टार एग्रोनोमी सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस
ग्रीष्मकालीन धान में फुदका कीट का प्रबंधन
• मुख्य रूप से हरा फुदका, भूरा फुदका और सफेद पीठ वाला फुदका गर्मियों में उगाए जाने वाले धान के लिए हानिकारक हैं। • शिशु और प्रौढ़ दोनों पौधों की कोशिका से रस चूसते हैं। • प्रकोपित पौधे भूरे, पीले होकर सूख जाते है। • प्रकोपित फसल में जला हुआ परिणाम फसल में दिखाई देता है इसीलिए उसे "हॉपर बर्न" कहा जाता है। • पत्तों पर गोलाकार आकार तरीके से संक्रमण बढ़ता है। • संक्रमित पौधों पर बलियों में दाने परिपक्व नहीं हो सकते हैं। इसके कारण अनाज की उपज पर परिणाम दिखाई देता हैं। • एक सप्ताह के भीतर पूरे क्षेत्र में फसल का संक्रमण हो जाता है। • प्रकोपित क्षेत्र में नाइट्रोजनयुक्त उर्वरक की अनुशंसित मात्रा का उपयोग करें।
• जब इस रोग प्रकोप फसल में दिखाई दे, तो तुरंत ही खेत से पानी निकल दीजिये।_x000D_ • फुदका कीट को फोरेट 10 जी (10 किग्रा/हे) या कार्बोफ्यूरान 3 जी (20-25 किग्रा/हे) का उपयोग करके नियंत्रित किया जा सकता है।_x000D_ • यदि दानेदार कीटनाशकों से इसे नियंत्रित किया जा सके तो, एसीफेट 75@ एस.पी.@ 10 ग्राम या क्लोथियनिडिन 50 डब्ल्यूजी @ 5 ग्राम का छिड़काव करें। _x000D_ _x000D_ स्रोत - एग्रोस्टार एग्रोनॉमी सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस_x000D_ _x000D_ यदि आपको यह जानकारी उपयोगी है, तो कृपया इसे लाइक करें और अपने अन्य किसान मित्रों के साथ शेयर करें!_x000D_ _x000D_ _x000D_
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