सलाहकार लेखएग्रोस्टार एग्रोनोमी सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस
गन्ने के सूखे पत्तों का व्यवस्थापन
फसलों की अधिक वृद्धि के लिए रासायनिक और जैविक उर्वरकों का संतुलित उपयोग करना चाहिए। जैविक उर्वरकों को खेत में डालना बहुत जरुरी होता है। हाल ही में सिंचाई के क्षेत्र में वृद्धि होने के कारण, रासायनिक उर्वरकों के उपयोग में भी वृद्धि हुई है। इसके अलावा गोबर खाद की उपलब्धता भी कम है। हरी खाद द्वारा इस आवश्यकता को पूरा किया जा सकता है।
सूखी पत्तियों की उपलब्धता।
गन्ने की खेती के बाद खेत में बहुत सारे सूखे पत्ते रह जाते हैं। आम तौर पर एक हेक्टेयर खेत से 7.5-10 टन सूखे पत्ते उपलब्ध होते हैं और हमे इसे से 4 से 5 टन जैविक खाद प्राप्त होता है।
सूखे पत्तों के फायदे -
• कोई अन्य जैविक खाद देने की जरूरत नहीं होती। क्योंकि हमें सूखी पत्तियों से 4 से 5 टन जैविक खाद मिलता है।
• सूखे पत्तों की मल्चिंग से पानी बचता हैं।
• सूखे पत्तों की वजह से खरपतवार नहीं उगते हैं।
• हरी खाद और गोबर खाद का खर्च बच जाता हैं।
सूखे पत्तों को जलाने से नुकसान-
• जब सूखे पत्तों को जलाया जाता है, तब जैविक कार्बन, नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश जैसे पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं।
• यदि जमीन जला दी जाती है, तो मिट्टी में से जीवाणुओं की संख्या घट जाती है।
• सूखे पत्तों को जलाने के कारण, 100% नाइट्रोजन और 75% अन्य घटक नष्ट हो जाते हैं।
पेड़ी फसल में सूखे पत्तों से जैविक खाद का उत्पादन -
गन्ने की कटाई के बाद, पेड़ी फसल के लिए, मेड़ में से स्टंप को हाथ से अलग किया जाना चाहिए और कुंड में दबाना चाहिए। कलियों के जोरदार विकास के लिए, स्टंप्स को दरांती से काटना चाहिए और फिर तुरंत 10 ग्राम बाविस्टीन 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़कना चाहिए। खेत में हर 10 गुंठा क्षेत्र में 1 टन सूखे पत्ते होतेे है। एक टन सूखी पत्तियाें के लिए , 8 किलो यूरिया, 10 किग्रा एकल सुपर फॉस्फेट को सूखे पत्तों पर फैलाना चाहिए और फिर 1 किलो विघटन करने वाले बैक्टीरिया को गोबर की घोल में मिलाना चाहिए और सूखी पत्तियों पर उसका छिड़काव करना चाहिए। उसके बाद, गन्ने की कटाई के बाद ही पहली सिंचाई करनी चाहिए । 3-4 दिनों के बाद, उर्वरक की पहली खुराक तने से 15 सेमी दूरी पर और 15 सेंटीमीटर की गहराई पर और दो छेदों के बीच की दूरी 30 सेमी के रूप में रखनी चाहिए। १३५ दिनों के बाद कुंड की विपरीत दिशा में दूसरी खुराक देनी चाहिए। और हमेशा की तरह पानी दिया जाना चाहिए। अगर पेड़ी फसल में सूखे पत्तों की इस तरह से व्यवस्था की जाए, तो इससे शुरू में मल्चिंग के स्वरूप में मदद मिलती है , बाष्पीकरण कम हो जाता है और सिंचाई में बचत होती हैं। बाद में जैविक खाद बनाया जाता हैं।