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IIT कानपुर ने तैयार की गेहूं की किस्म!
👉आईआईटी कानपुर ने गेहूं की एक नई किस्म विकसित की है, जिसकी बुवाई करने के बाद 35 दिनों तक सिंचाई करने की जरूरत नहीं पड़ेगी.उत्तर प्रदेश,बिहार,और हरियाणा सहित अधिकांश उत्तर भारत के राज्यों में धान की कटाई करने के बाद गेहूं की बुवाई की जाती है. हालांकि, अभी कई राज्यों में गेहूं की बुआई शुरू भी हो गई है. इसके लिए किसान मार्केट से बेहतरीन गेहूं के बीज खरीद रहे हैं, ताकि उपज ज्यादा से ज्यादा हो. लेकिन कुछ किसानों ने अभी तक धान की कटाई नहीं की है. ऐसे में उन किसानों के लिए आज हम एक ऐसे गेहूं की किस्म के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें सिंचाई के दौरान पानी का उपयोग बहुत ही कम होता है. जबकि फसल की उपज बंपर होती है.
👉 आईआईटी कानपुर ने गेहूं की एक नई किस्म विकसित की है, जिसकी बुवाई करने के बाद 35 दिनों तक सिंचाई करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. इस किस्म के गेहूं की खासियत है कि गर्मी और लू में भी इसे सूखने और झुलसने का खतरा नहीं रहेगा. ऐसे में किसानों को सिंचाई करने के लिए काफी समय मिलेगा और पानी की खपत कम होने से उन्हें कम खर्चे भी करने पड़ेंगे. वहीं, इस तरह की किस्म पर पूसा रिसर्च इंस्टीटयूट भी काम कर रहा है.
👉35 दिनों तक पानी देने की जरूरत नहीं पड़ती है
आईआईटी कानपुर इंक्यूबेटेड कंपनी एलसीबी पफर्टिलाइजर ने गेहूं का नैनो कोटेड पार्टिकल सीड तैयार किया है. इस सीड की विशेषता यह है कि इसकी बुवाई करने के बाद 35 दिनों तक फसल की सिंचाई करने की जरूरत नहीं पड़ती है.
👉120 से 150 दिन में पककर तैयार हो जाता है
किसान इस किस्म के बीज को उपयोग करते हैं तो उन्हें सिंचाई पर होने वाले खर्च से काफी राहत मिलेगी. वहीं, इस बीज की खासियत है कि यह 78 डिग्री टेंप्रेचर में भी जिंदा रहेगा. जबकि, इसकी फसल 120 से 150 दिन में पककर तैयार हो जाती है. इसे महज दो सिंचाई की ही जरूरत पड़ती है.
👉स्त्रोत:-Agrostar
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