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खरबूजे और तरबूूज में कीटों की पहचान कर के उन्हें नियंत्रण करें।
गुरु ज्ञानएग्रोस्टार एग्रोनोमी सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस
खरबूजे और तरबूूज में कीटों की पहचान कर के उन्हें नियंत्रण करें।
कई किसानों ने इस मौसम में खरबूजे और तरबूज की खेती की है । इस फसल में मुख्य कीटक फल मक्खी होती है। इसके अलावा लीफ माइनर का संक्रमण भी दिखाई देता है। इन कीटों की पहचान करें और इनसे होने वाले नुकसान को रोकें। 1. फल मक्खी : जब इस कीट की मादा मक्खी फल लगने के चरण से शुरू करके परिपक्व चरण तक फल के छिलके में अपने अंडे देती है। अंडे से बाहर आ रहे कीट पीले सफेद रंग के और बिना सिर के होते है । वे फल में छेद करते हैं। यदि फल फूल आने के चरण में होते है, तो मादा फूल नीचे गिर जाते है। यदि परिपक्व फल में कोई नुकसान होता है, तो ऐसे फलों में सड़न शुरू हो जाती हैं और अंत में ऐसे फल नीचे गिर जाते हैं। फलों में जहां अंडे रखते हैं उस जगह से चिपचिपा द्रव बाहर आता है। यह द्रव सूख जाता है और भूरे रंग के गोंद में बदल जाता है। इसके परिणाम में धब्बे होते हैं, जिसके कारण फलों की गुणवत्ता और भी खराब हो जाती है। यह कीट गर्म वातावरण में सक्रिय हो जाते है, जबकि सर्दियों के मौसम में यह निष्क्रिय हो जाते है। एकीकृत व्यवस्था • संक्रमित फल और धब्बेवाले फलों को हर रोज़ उठाया जाना चाहिए और उन पर कीटनाशक का छिड़काव करके मिट्टी में 1.5 से 2 फीट के गड्ढे में गाढ़ दिया जाना चाहिए । • बाग को साफ रखें और फसल कटाई के बाद, मिट्टी की गहरी जुताई की जानी चाहिए ताकि प्यूपा नष्ट हो जाएं। • वयस्क फल मक्खी को नियंत्रित करने के लिए, 450 ग्राम गुड़ का मिश्रण 10 लीटर पानी में मिलाकर 24 घंटे के लिए रख दें। उसके बाद डाइक्लोरवोस 76 ईसी 5 मि.ली.मिश्रण को फूलों की शुरू के समय बेलों पर पहुंचने के लिए बडे स्प्रिंकलर के साथ सप्ताह में एक बार छिड़काए। • जब खरबूजे और तरबूज में फूलों का आना शुरू होता है तभी 10-15 फल मक्षिका प्रलोभित जाल प्रति हेक्टेयर की व्यवस्था करके पुरुष फल मक्षिकां को आकर्षित करें और उनकी की हत्या करें। बैक्ट्रोसेरा डॉर्सालिस नामक फल मक्षिका को नियंत्रित करने के लिए पौधों पर उन्हें 1 मीटर ऊँचा लटकाएं।
2. लीफ माइनर: जो इल्ली अंडे से बाहर आती है, वो पत्तियों के दो परतों के बीच में रहती है और एक सर्पिल तरीके से पत्ती का हरा हिस्सा खा जाती है । इसके कारण, पत्तों के ऊपर टेढ़ी मेढ़ी रेखाएँ दिखाई देती हैं और पौधे की वृद्धि रूक जाती है । अधिक संक्रमण के कारण पत्ते सूख जाते है। स्पाइनोसेड 45% एससी 3 मि.ली.या डाइमेथोएट 30% ईसी 10 मि.ली या सियानत्रनिलिप्रोल 10%ओडी 3 मि.ली 10 लिटर पानी में मिलाकर छिड़काए। 3. लाल और काले बीटल्स: अंडे से जो कीट बाहर आते है, वे पेड़ के तनों और जड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। यह जमीन को छूनेवाले फल को भी खाते हैं। बेलों का विकास कमजोर हो जाता है, जब एक वयस्क कीट कलियों और फूल को खा कर नुकसान पहुंचाते हैं। कुछ समय, यह वयस्क कीट गोलाकार तरीके में पत्तियां खाते हुए दिखाई देते हैं। एकीकृत व्यवस्था • फसल कटाई के बाद, जमीन की गहराई से जुताई करनी चाहिए । • 1.5%(25 किग्रा प्रति हेक्टर) क़्विनालफ़ोस पाउडर इस तरह से छिड़काव करें, कि यह पेड़ो के साथ साथ मिट्टी पर भी गिर जाए। 10 लिटर पानी में डाइक्लोरवोस 76% ईसी 7ml मिश्रण बेलों पर छिड़काए और पेड़ों के तनों के आसपास और मिट्टी में डाले, ताकि यह जड़ों तक पहुंच जाए। 4. फफोला बीटल्स: बीटल्स फूल पंखुड़ियों और पराग को खा लेती है, जिसके कारण, उत्पादन कम हो जाता है। 1.5%(25 किग्रा प्रति हेक्टर) क़्विनालफ़ोस पाउडर का छिड़काव करके कीटों को नियंत्रित किया जा सकता हैं। इसके अलावा इन फसलों में माहू, हरा तेला (जस्सिड), सफ़ेद मक्खी और लीफ घुन का हमला भी देखाई देता है। डॉ. टी.एम. भरपोडा, एंटोमोलॉजी के पूर्व प्रोफेसर, बी ए कालेज ऑफ एग्रीकल्चर, आनंद कृषि विश्वविद्यालय, आनंद- 388 110 (गुजरात भारत)
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