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अनार में कटाई छटाई का महत्व एवं बहार की महत्वपूर्ण जानकारी!
कटाई-छटाई- अनार के पौधों में जड़ से अनेक शाखाएँ निकलती रहती हैं। यदि इनको समय-समय पर निकाला न जाये तो अनेक मुख्य तने बन जाते हैं। जिससे उपज तथा गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हैं। उपज तथा गुणवत्ता की दृष्टि से प्रत्येक पौधों में 3 से 4 मुख्य तने ही रखना चाहिये तथा शेष को समय-समय पर निकलते रहना चाहिये। नये पौधों को उचित आकार देने के लिये कटाई-छँटाई करना आवश्यक होता हैं। अनार में 3 से 4 साल तक एक ही परिपक्व शाखाओं के अग्रभाग में फूल और फल खिलते रहते हैं। इसलिए नियमित काँट-छाँट आवश्यक नहीं हैं। लेकिन सुखी रोगग्रस्त टहनियों, बेतरतीब शाखाओं तथा सकर्स को सुषुप्ता अवस्था में निकालते रहना चाहिए। _x000D_ _x000D_ बहार नियंत्रण_x000D_ अनार में वर्ष में तीन बार फूल आते है, जिन्हे बहार कहते है। यदि एक ही पौधे से वर्ष में तीनो ही ऋतुओं (बंसत, वर्षा एवं गर्मी) के फल प्राप्त किये जाते है, तो कम उत्पादन के साथ-साथ गुणवत्ता भी प्रभावित होती है। अतः यह वांछित होता कि एक पौधे से सिर्फ एक ही ऋतु में फल प्राप्त किये जाये इसके लिये शेष दो ऋतुओं के दरम्यान आये फूलों को पौधे से झाड़ दिया जाता है। जिसे बहार नियंत्रण करना कहा जाता है। _x000D_ _x000D_ बहार लेने का समय बाजार की मांग एवं सिंचाई जल की उपलब्धता पर निर्भर करता है। परन्तु बेक्टेरियल ब्लाइट रोग से प्रभावित क्षेत्रों में हस्त बहार लेना ठीक रहता है। शुष्क क्षेत्र जैसे राजस्थान जैसे राज्यों के लिये मृग बहार लेना उपयुक्त रहता है। बहार नियंत्रण के लिए 1.5 से 2.0 महीने पहले सिंचाई बंद कर दी जाती है। जिससे पौधा अपनी पत्तियां गिराना प्रारम्भ कर देता है, साथ ही पौधे के तनाव के अन्तिम समय में ईथरेल (2 से 2.5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करने से सभी पत्तिया गिर जाती है। _x000D_ _x000D_ जब पौधा अपनी 80 से 85 प्रतिशत पत्तियां गिरा दे, तो पौधो की हल्की कटाई-छटाई भी कर दे उसके पश्चात् थालो की गुड़ाई करके हल्का पानी लगा दें और सन्तुलित मात्रा में खाद एवं उर्वरक डालकर समय-समय पर सिचाई करते रहे। अनार में पुष्पन प्रारम्भ होने एवं फल तुड़ाई का समय इस प्रकार है, जैसे-_x000D_ _x000D_ आंबे बहार- इस बहार में जनवरी से फरवरी के मध्य फूल आते हैं। और जुलाई से अगस्त में फल तैयार होते हैं। मानसून की शुरुआत में आने से बारिश की बूंदों से फल पे दाग़ हो जाते है। परिणाम स्वरूप बाजार भाव कम मिलते है। _x000D_ _x000D_ मृग बहार- इस बहार में जून से जुलाई के माह में फूल आते हैं। और दिसम्बर से जनवरी में फल तैयार होते हैं। इन फलों का विकास मानसून में होने के कारण कीटों का प्रकोप ज्यादा रहता है। _x000D_ _x000D_ हस्त बहार- इस बहार में सितम्बर से अक्टूबर में फूल आते हैं। और मार्च से अप्रैल में फल तैयार होते हैं। फूलों का विकास ठंडे और सूखे हवामान में होने से रोग और कीटों का प्रकोप कम होता है। फलों का विकास अच्छा होता है, बाजार भाव अच्छे मिलते है, अनार की सिर्फ हस्त बहार फल की फसल लेना लाभदायी है।
स्रोत:- एग्रोस्टार एग्रोनोमी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस और कमर मोहद प्रिय किसान भाइयों दी गई जानकारी उपयोगी लगी, तो इसे लाइक करें एवं अपने अन्य किसान मित्रों के साथ शेयर करें धन्यवाद!
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