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हरित खाद की ताकत: ज़मीन को प्राकृतिक बल!
कृषि वार्ताAgroStar
हरित खाद की ताकत: ज़मीन को प्राकृतिक बल!
👉छत्तीसगढ़, जिसे "धान का कटोरा" कहा जाता है, यहाँ की मिट्टी वर्षों से खेती का भार उठाती आ रही है। लेकिन लगातार रासायनिक खादों के उपयोग से अब मिट्टी की उर्वरता घट रही है। ऐसे में हरित खाद यानी ढैंचा, मूँग, लोबिया जैसी फसलें मिट्टी को फिर से ज़िंदा करने का बेहतरीन उपाय बन रही हैं।👉खासतौर पर खेत खाली होने पर हरित खाद की फसल बोई जाती है और 40-45 दिनों बाद उसे खेत में ही जोत दिया जाता है। इससे मिट्टी को प्राकृतिक नाइट्रोजन मिलती है, जैविक सक्रियता बढ़ती है और अगली फसल को मिलता है भरपूर पोषण।👉छत्तीसगढ़ के दुर्ग, बिलासपुर, रायपुर से लेकर बस्तर तक कई किसान अब इस पद्धति को अपना रहे हैं। यह तरीका न केवल सस्ता है, बल्कि मिट्टी की संरचना और नमी को भी बनाए रखता है।👉किसान भाइयों, अब समय है ज़मीन को ताकत देने का – हरित खाद अपनाइए और अपने खेत को बनाइए और भी उपजाऊ और टिकाऊ!👉 संदर्भ : AgroStarकिसान भाइयों ये जानकारी आपको कैसी लगी? हमें कमेंट 💬करके ज़रूर बताएं और लाइक 👍एवं शेयर करें धन्यवाद।
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