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सोयाबीन की यह किस्म करेगी मालामाल, जानिए क्या है खासियत!
सलाहकार लेखTV 9 Hindi
सोयाबीन की यह किस्म करेगी मालामाल, जानिए क्या है खासियत!
👉🏻किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। सरकार के साथ ही वैज्ञानिक भी इस काम में लगे हुए हैं। वे वाणिज्यिक फसलों की ऐसी बीज तैयार करने की कोशिशों में जुटे रहते हैं, जिससे किसानों की आय बढ़े और फसल पारंपरिक क्षेत्रों के अलावा, अन्य इलाकों में भी हो सके. कृषि वैज्ञानिकों को इस क्षेत्र में एक बड़ी सफलता मिली है और उन्होंने सोयाबीन की उन्नत किस्म की बीज तैयार की है, जिसका नाम स्वर्ण वसुंधरा है। 👉🏻इस बीज से फसल जल्द तैयार हो जाती है और कम लागत में किसानों को अधिक आय होती है। यह प्रोटीन और विटामिन से भरपूर है। इसका लाभ किसानों को मिलता है और वे प्रोसेसिंग के जरिए दही, गुलाबजामुन, आइसक्रीम और पनीर बनाने के लिए भी इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। सोयाबीन के इस बीज का किसान बड़े पैमाने पर इस्तेमाल कर रहे हैं और उनकी आय काफी बढ़ गई है। स्वर्ण वसुंधरा सोयाबीन की एक एकड़ खेती में लागत 30 हजार रुपए है जबकि लाभ 2 लाख 70 हजार रुपए होता है। झारखंड में भी हो रही इस किस्म की खेती:- 👉🏻सोयाबीन की उन्नत किस्म की बीज स्वर्ण वसुंधरा को वाणिज्यिक खेती के लिए तैयार किया गया है। इसकी हरी फली बुवाई के 70 से 75 दिनों में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। इसके बाद इन फलियों की दो तुड़ाइयां और होती हैं। इस किस्म में पचने योग्य प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, लिपिड और आवश्यक फैटी एसिड के अलावा फास्फोरस, लोहा, कैल्शियम, जस्ता, थियामिन, राइबोफ्लेविन, विटामिन ई, आहार फाइबर और चीनी पाई जाती है। 👉🏻गोले वाले हरी बीन्स का उपयोग स्वादिष्ट पकी हुई सब्जियों के लिए किया जाता है जबकि सूखे बीजों का अन्य कामों में इस्तेमाल होता है। उच्च पोषकता के वजह से ही झारखंड के अलावा देश के दूसरे राज्यों में भी इसे किसानों के बीच लोकप्रिय बनाने की कोशिश हो रही है। 👉🏻सोयाबीन एक वाणिज्यिक फसल है। ऐसे में इसकी खेती करने वाले किसानों को भी लाभ मिलता है। डीडी किसान की एक रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र के रहने वाले किसान चंद्रकांत देशमुख सोयाबीन की खेती करते हैं। उन्हें स्वर्ण वसुंधरा बीज के गुणों के बारे में जानकारी मिली और उन्होंने 10 एकड़ में इसकी खेती की. फसल तैयार होने पर उन्हें प्रति एकड़ 15 क्विंटल हरी फली प्राप्त हुई। बढ़ रही है मांग:- 👉🏻चंद्रकांत देशमुख बताते हैं कि स्वर्ण वसुंधरा सोयाबीन की खेती में प्रति एकड़ 30 हजार रुपए की लागत आई। अगर कमाई की बात करें तो एक एकड़ में उन्हें 2 लाख 70 हजार की आय हुई। यानी सोयाबीन की यह किस्म किसानों के लिए कम लागत में अधिक आय का जरिया बन गई है। विटामिन और प्रोटीन से भरपूर होने के नाते इसकी मांग भी बढ़ रही है। 👉🏻स्वर्ण वसुंधरा की हरी फली लाभकारी है और किसानों की आय बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रही है। वहीं आप इसे सूखा कर भी बेच सकते हैं. सूखे बीज से सोया पनीर भी बनाया जा सकता है। किसान बताते हैं कि एक किलो बीज से सवा दो किलो तक टोफू प्राप्त किया जा सकता है। स्वर्ण वसुंधरा के एक क्विंटल अनाज से 225 किलो सोया पनीर बनाने का खर्च 13 हजार रुपए है जबकि 225 किलो सोया पनीर की बिक्री से शुद्ध लाभ 54 हजार 500 रुपए तक होगा। 👉🏻इसके अलावा भूने हुए सोयाबीन का इस्तेमाल उच्च गुणवत्ता वाले सत्तू बनाने में किया जा सकता है। स्वर्ण वसुंधरा के अनाज से छेना, सोया दही, गुलाब जामून और आइसक्रीम जैसै उत्पाद बनाए जाते हैं। 👉🏻खेती तथा खेती सम्बंधित अन्य महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए कृषि ज्ञान को फॉलो करें। फॉलो करने के लिए अभी ulink://android.agrostar.in/publicProfile?userId=558020 क्लिक करें। स्रोत:- TV9 Hindi, 👉🏻प्रिय किसान भाइयों अपनाएं एग्रोस्टार का बेहतर कृषि ज्ञान और बने एक सफल किसान। दी गई जानकारी उपयोगी लगी, तो इसे लाइक👍करें एवं अपने अन्य किसान मित्रों के साथ शेयर करें धन्यवाद!
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