सलाहकार लेखएग्रोस्टार एग्रोनोमी सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस
सीताफल के बगीचे में जल प्रबंधन
• सीताफल के बगीचे में सुबह 6 से 8 बजे के बीच सिंचाई की जानी चाहिए। जिससे बगीचे की मिट्टी में नमी अच्छी तरह बनी रहती है और पौधों की वृद्धि ठीक से होती है।
• सिंचाई के लिए ड्रिप सिंचाई प्रणाली का उपयोग करें। इससे 50 से 70 प्रतिशत तक पानी बचा सकते हैं। पेड़ के दोनों किनारों पर दो लैटरल पाइप लगाया जाना चाहिए जिसमें दो ड्रिपर्स लगे होते हैं। इनकी मदद से पौधे की जड़ में अच्छी तरह पानी मिलता है और पौधों के विकास में मदद मिलती है। साथ ही पानी भी बचता है।
• बगीचे में पानी की बचत और उसके प्रभावी उपयोग के लिए बगीचे में जैविक या प्लास्टिक ओवरले (मल्चिंग विधि) का उपयोग करें। पेड़ के चारों ओर गोलाकार रुप से कवर करें।
• यदि आप जैविक विधि से मल्चिंग कर रहे हैं तो, प्रत्येक पेड़ के लिए 8-10 किलोग्राम गन्ना और सूखे घास का उपयोग करें। यदि गन्ने और सूखे घास की अधिक मात्रा उपलब्ध है तो इससे पूरे पेड़ के पास ढकें इससे नमी बरकरार रहती है।
संदर्भ - एग्रोस्टार एग्रोनॉमी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस
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