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सल्फर का महत्व और कार्य
सलाहकार लेखएग्रोस्टार एग्रोनोमी सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस
सल्फर का महत्व और कार्य
सल्फर फसलों के विकास के लिए आवश्यक तत्व है। फसलों में तेल और हरितद्र्व्य तैयार करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है। सल्फर का महत्व 1. सल्फर का उपयोग करने से उपज बढ़ती है। 2. सल्फर का उपयोग करने से फसलों की उत्पादकता और गुणवत्ता में वृद्धि होती है। 3. सल्फर नाइट्रोजन की क्षमता और उपलब्धता को बढ़ाता है। 4. सल्फर को मिट्टी का सुधारक कहा जाता है क्योंकि यह मिट्टी के पीएच को कम करता है। चूना युक्त पथरीली चिपचिपी मिट्टी में सल्फर का उपयोग करना महत्वपूर्ण है। सल्फर का महत्वपूर्ण उपयोग तिलहनों में प्रोटीन और तेल की मात्रा में वृद्धि करना है।
सल्फर का कार्य - 1. सल्फर पौधों की पत्तियों में हरितद्रव्य को बढ़ाने में मदद करता है। इस प्रकार यह फसलों में खाद्य निर्माण करने के लिए उत्तेजित करता है। 2. सल्फर दलहन फसलों की जड़ोंं पर गांठों को बढ़ाने और बैक्टीरिया द्वारा नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करने में मदद करता है। 3. विभिन्न एंज़ाइम कार्यों में और चयापचय की प्रक्रिया में मदद करता है। 4. फलों के निर्माण के समय सल्फर बहुत आवश्यक होता है। सल्फर की कमी के कारण फसलों में दिखाई देने वाले लक्षण १) सल्फर की कमी के कारण फसलों की पत्तियां पीली हो जाती हैं २) फलों का रंग पीला-हरा दिखाई देता है। उनकी वृद्धि कम होती है। रंग में परिवर्तन होता है और अंदर लुगदी कम हो जाती है। ३) नई पत्तियां और पत्ते पीले रंग के होने लगते हैं। डंठल पतले और छोटे रहते हैं। ४) द्विबीजपत्री फसलों की जड़ों पर नाइट्रोजन स्थिरीकरण गांठों की संख्या कम हो जाती है। ५) सल्फर की कमी के कारण प्रोटीन और तेल की मात्रा घट जाती है। एग्रोस्टार एग्रोनोमी सेंटर एक्सलालेंस, 28 जून 18
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