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सरकार का बड़ा फैसला
🌱केंद्र सरकार ने 1 साल के लिए चीनी के निर्यात पर लगाया प्रतिबंध, जानें क्या है बड़ी वजह 2021 और 2022 के बीच देश में 5,000 लाख टन से अधिक गन्ने का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ, जिसमें से चीनी मिलों ने लगभग 3,574 लाख टन की पेराई करके लगभग 394 लाख टन चीनी (सुक्रोज) का उत्पादन किया.
🌱दुनिया में चीनी के सबसे बड़े उत्पादक देश भारत ने घरेलू बाजार में कीमतों में बढ़ोतरी को रोकने के लिए अक्टूबर 2023 तक इसके निर्यात पर प्रतिबंधित लगा दिया है. सरकार और उद्योग के अधिकारियों के अनुसार, भारत को इस साल रिकॉर्ड गन्ने का उत्पादन करने की उम्मीद है. साल 2021-22 के विपणन वर्ष में भारत का चीनी निर्यात 57% बढ़कर 109.8 लाख टन हो गया, जो कि सितंबर में समाप्त हुआ. इससे लगभग 40,000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा भारत को प्राप्त हुआ.
🌱इसी तरह विपणन वर्ष 2021-22 (अक्टूबर-सितंबर) के अंत में, किसानों के लिए गन्ना बकाया में केवल 6,000 करोड़ रुपये थे, क्योंकि मिलों ने उन्हें पहले ही 1.18 लाख करोड़ रुपये की कुल देय राशि का 1.12 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया था. खाद्य मंत्रालय ने बताया कि 2021-22 विपणन वर्ष के लिए “भारत दुनिया का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक और उपभोक्ता के साथ-साथ दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी निर्यातक के रूप में उभरा है”.
🌱80 लाख टन तक के निर्यात की अनुमति मिल सकती है
2021 और 2022 के बीच देश में 5,000 लाख टन से अधिक गन्ने का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ, जिसमें से चीनी मिलों ने लगभग 3,574 लाख टन की पेराई करके लगभग 394 लाख टन चीनी (सुक्रोज) का उत्पादन किया. इसमें से 359 लाख टन चीनी का उत्पादन चीनी मिलों द्वारा किया गया, जबकि 35 लाख टन चीनी को एथेनॉल निर्माण के लिए डायवर्ट किया गया. गन्ने की पेराई का मौसम अक्सर अक्टूबर या नवंबर में शुरू होता है और अप्रैल के मध्य तक रहता है, जबकि चीनी का मौसम आमतौर पर अक्टूबर से सितंबर तक चलता है. वहीं, भारत में इस साल रिकॉर्ड चीनी फसल का उत्पादन होने की उम्मीद है, जिससे नई दिल्ली को 80 लाख टन तक के निर्यात की अनुमति मिल सकती है.
🌱सरकार ने 1 जून, 2022 से प्रभावी चीनी निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी. तब केंद्र सरकार ने कहा था कि घरेलू उपलब्धता और मूल्य स्थिरता बनाए रखने के उद्देश्य से 1 जून से चीनी निर्यात को विनियमित करने का निर्णय लिया गया था. वहीं, अगस्त महीने में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीईए) ने गेहूं या मेसलिन के आटे के लिए छूट की नीति में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. यह कदम अब गेहूं के आटे के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की अनुमति देगा, जिससे देश में गेहूं के आटे की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगेगा.
👉स्त्रोत:-Agrostar
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