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समय पर दुधारू पशुओं में थनैला रोग को रोकें
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समय पर दुधारू पशुओं में थनैला रोग को रोकें
थनैला रोग थनैला रोग थन की सूजन है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से,थनैला रोग मतलब शारीरिक,रासायनिक और जैविक कारणों से थनों में सूजन होती है। और इसके साथ-साथ गायों और भैंसों का दूध उत्पादन पूरी तरह से बंद हो जाता है और घट जाता है। ये रोग केवल थन की सूजन के साथ संबंधित नहीं है, कुछ समय के लिए पशुओं को बांझ बना देता है। यदि समय पर इलाज न किया जाए तो पशु हमेशा के लिए बांझ हो जाता है, जिससे भारी वित्तीय नुकसान हो सकता है। इस रोग के लिए निवारक उपाय करना आवश्यक है। गायों के लिए गोशाला की अच्छी व्यवस्था करें।
रोग से बचाव के लिए निवारक उपाय गोशाला की सफाई समय-समय पर गोशाला और आसपास की जगह को कीटाणुनाशक से सफाई करे। गोबर के गड्ढे गोशाला से ५० मीटर दूरी पर होना चाहिए। यदि कोई पशु संक्रमित है तो उसे दूसरे पशु से दूर रखना चाहिए। उस पशु का दूध अंत में निकालना चाहिए। पशुओं की सफाई होनी चाहिए। रोजाना पशुओंकी सफाई करने से और फिर उन्हें धोने से उनके शरीर पर से धूल और गोबर निकल जाता है। इस तरह, उत्पादित दूध साफ होता है। रक्त प्रवाह में सुधार होता है। दूध निकालने से पहले पशु के थन को पानी से धोकर साफ कपड़े से स्वच्छ करे। थन धोने के लिए पोटेशियम परमैंगनेट का प्रयोग करें। दुग्ध यंत्र की सफाई करें। अगर दूध निकालने के लिए किसी दुग्ध यंत्र का उपयोग किया जा रहा है, तो उसे समय पर साफ करना चाहिए। दुध निकलने की विधि। पशुओं का दूध निकालते समय हाथों का उपयोग करें। यदि दूध अंगूठे या चुटकी के साथ निकाला जाता है, तो यह पशुओंकी थन को नुकसान पहुंचा सकता है। घाव संक्रमित हो सकता है। गाभिन पशुओं को उचित तरीके से सुखाना चाहिए। पशुओं का सुखाना मतलब पशुओं का दोहन बंद करना। यह आम तौर पर गर्भावस्था के 8 वें महीने में किया जाता है। अधिक दूध देनेवाले पशुओं को दोहना अचानक बंद नहीं करना चाहिए। ऐसे मामलों में थन की सूजन की उच्च संभावना होती है। संदर्भ- एग्रॉवन 4 अक्टूबर 17
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