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सब्जियों की फसल के लिए पूसा के वैज्ञानिकों ने दी किसानों को सलाह!
सलाहकार लेखTV9 Hindi
सब्जियों की फसल के लिए पूसा के वैज्ञानिकों ने दी किसानों को सलाह!
👉🏻भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) पूसा के वैज्ञानिकों ने किसानों को सब्जियों की बुवाई और उनकी देखरेख के संबंध में कुछ सलाह दी है. किसान यह सलाह मानेंगे तो फायदे में रहेंगे. सब्जी विज्ञान संभाग के अध्यक्ष डॉ. बीएस तोमर के मुताबिक इस मौसम में किसान मटर की बुवाई कर सकते हैं. बुवाई से पहले मिट्टी में उचित नमी का ध्यान अवश्य रखें. मटर की उन्नत किस्में-पूसा प्रगति एवं आर्किल हैं. उन्होंने लहसुन की बुवाई के संबंध में भी किसानों को जानकारी दी है। 👉🏻आईएआरआई पूसा के वैज्ञानिकों की ओर से जारी एडवाइजरी में बताया गया है कि बीजों को कवकनाशी केप्टान या थायरम @ 2.0 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से मिलाकर उपचार करें. उसके बाद फसल विशेष राईजोबियम का टीका अवश्य लगाएं. गुड़ को पानी में उबालकर ठंडा कर लें और राईजोबियम को बीज के साथ मिलाकर उपचारित करके सूखने के लिए किसी छायेदार स्थान में रख दें तथा अगले दिन बुवाई करें। लहसुन की खेती के लिए रखें ध्यान:- 👉🏻तापमान को ध्यान में रखते हुए किसान इस समय लहसुन की बुवाई (Garlic Sowing) भी कर सकते हैं. बुवाई से पहले मिट्टी में उचित नमी का ध्यान अवश्य रखें. उन्नत किस्में–जी-1, जी-41, जी-50 एवं जी-282 हैं. लहसुन की खेती के लिए खेत में देसी खाद और फास्फोरस उर्वरक अवश्य डालें। इन फसलों के बारे में भी जानिए:- 👉🏻किसान इस समय सरसों साग- पूसा साग-1, मूली- जापानी व्हाईट, हिल क्वीन, पूसा मृदुला (फ्रेच मूली), पालक-आल ग्रीन, पूसा भारती, शलगम-पूसा स्वेती या स्थानीय लाल किस्म, बथुआ-पूसा बथुआ-1, मेथी-पूसा कसुरी, गांठ गोभी-व्हाईट वियना, पर्पल वियना तथा धनिया-पंत हरितमा या संकर किस्मों की बुवाई मेड़ों (उथली क्यारियों) पर करें. बुवाई से पहले मिट्टी में उचित नमी का ध्यान अवश्य रखें। रोग ग्रसित पौधों को जमीन में दबा दें:- 👉🏻कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक यह मौसम में ब्रोकली, फूलगोभी तथा बंदगोभी की पौधशाला तैयार करने के लिए उपयुक्त है. पौधशाला भूमि से उठी हुई क्यारियों पर ही बनाएं. जिन किसानों की पौधशाला तैयार है वह मौसस को ध्यान में रखते हुए पौध की रोपाई ऊंची मेड़ों पर करें. मिर्च तथा टमाटर (Tomato) के खेतों में विषाणु रोग से ग्रसित पौधों को उखाड़कर जमीन में दबा दें. यदि प्रकोप अधिक है तो इमिडाक्लोप्रिड़ @ 0.3 मिली प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें। 👉🏻वैज्ञानिकों ने फूलों की खेती के संबंध में भी सलाह दी है. इसके मुताबिक किसान गुलाब के पौधों की कटाई-छटाई करें. कटाई के बाद बाविस्टीन का लेप लगाएं, ताकि कवकों का आक्रमण न हो. इस मौसम में गैदें की तैयार पौध की मेड़ों पर रोपाई करें. किसान ग्लेडिओलस की बुवाई भी इस समय कर सकते हैं। स्रोत:- TV 9 Hindi, 👉🏻प्रिय किसान भाइयों दी गयी उपयोगी जानकारी को लाइक 👍 करें एवं अपने अन्य किसान मित्रों के साथ शेयर करें धन्यवाद!
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