कृषि वार्ताAgrostar
शीतलहर से हो सकता है भारी नुकसान!
👉शीतलहर से फसलों व फलदार पेड़ों की उत्पादकता पर विपरित प्रभाव पड़ता है. पाले के प्रभाव से पौधों की पत्तियां और फूल झुलसने लगते हैं. सर्दी के मौसम की शुरुआत हो गई है और आने वाले दिनों में ठंड का प्रकोप और बढने वाला है. इस वर्ष मौसम वैज्ञानिकों ने लंबे समय तक ठंड का असर रहने की संभावना जताई है. खास कर उत्तर भारत में सर्दी का प्रकोप कुछ अधिक ही रहता है. साथ ही ठंड का असर इंसान और जानवरों के साथ- साथ फसलों पर भी देखने को मिल सकता है. कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि अधिक ठंड से फसल के उत्पादन पर विपरित प्रभाव पड़ता है. परिणामस्वरूप कम उत्पादन प्राप्त होता है. ऐसे में आज हम देश के वरिष्ठ फल वैज्ञानिक डॉक्टर एसके सिंह से सर्दी के मौसम में फसलों के बचाव करने की तरीके के बारे में जानते हैं.
👉आने वाले फल या फूल झड़ सकते हैं.
शीतलहर से फसलों व फलदार पेड़ों की उत्पादकता पर विपरित प्रभाव पड़ता है. फसलों में फूल और फल आने या उनके विकसित होते समय पाला पड़ने की सबसे ज्यादा संभावनाएं रहती हैं. पाले के प्रभाव से पौधों की पत्तियां और फूल झुलसने लगते हैं. इसकी वजह से फसल पर असर पड़ता है. इसकी वजह से पत्तियों का रंग भूरा रंग जैसा दिखता है. अगर शीतलहर हवा के रूप में चलती रहे तो उससे कम या बिलकुल ही नुकसान नहीं होता है. लेकिन हवा रूक जाए तो पाला पड़ता है जो फसलों के लिए ज्यादा नुकसानदायक होता है.
👉फूलों के गिरने से पैदावार में कमी हो जाती है
पाले की वजह से अधिकतर पौधों के फूलों के गिरने से पैदावार में कमी हो जाती है. पत्ते, टहनियां और तने के नष्ट होने से पौधों को अधिक बीमारियां लगने का खतरा रहता है. सब्जी, पपीता, आम और अमरूद पर पाले का प्रभाव अधिक पड़ता है. टमाटर, मिर्च, बैंगन, पपीता, मटर, चना, अलसी, सरसों, जीरा, धनिया, सौंफ आदि फसलों पर पाला पड़ने के दिन में ज्यादा नुकसान की आशंका रहती है. जबकि अरहर, गन्ना, गेहूं व जौ पर पाले का असर कम दिखाई देता है. जाड़े में उगाई जाने वाले पौधे 2 डिग्री सेंटीग्रेट तक का तापमान सहन कर सकते हैं. इससे कम तापमान होने पर पौधे की बाहर और अंदर की कोशिकाओं में बर्फ जम जाती है.
👉कैसे करें उपाय:-
नर्सरी के पौधों एवं सब्जी वाली फसलों को लो कास्ट पाली टनल में उगाना अच्छा रहता है. या फिर ठंड से बचाव के लिए पॉलिथीन अथवा पुवाल से ढक देना चाहिए. वायुरोधी बोरी की टाटियां को हवा आने वाली दिशा की तरफ से बांधकर क्यारियों के किनारों पर लगाने से पाले और शीतलहर से फसलों को बचाया जा सकता है.सरसों, गेहूं, चावल, आलू, मटर जैसी फसलों को पाले से बचाने के लिए सल्फर(गंधक) का छिडक़ाव करने से रासायनिक सक्रियता बढ़ जाती है और पाले से बचाव के अलावा पौधे को सल्फर तत्व भी मिल जाता है. सल्फर पौधों में रोगरोधिता बढ़ाने में और फसल को जल्दी पकाने में भी सहायक होता है.
👉स्त्रोत:- Agrostar
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