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वैज्ञानिक विधि से करें बकरी पालन!
🐐 किसानों के लिए बकरी पालन का व्यवसाय काफी मुनाफे का सौदा होता है. दरअसल, बाजार में बकरी की डिमांड सबसे अधिक इसके मांस व दूध की होती है. केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान के द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, वैज्ञानिक विधि से व्यवसायिक बकरी पालन से किसान 5-6 गुना अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं.
🐐बकरी पालन के लिए अच्छी नस्ल का चुनाव :-
► बकरी शुद्ध नस्ल की एवं शारीरिक रूप से स्वस्थ होनी चाहिए.
► नस्ल के अनुरूप कद काठी व ऊंचाई-लम्बाई अच्छी होनी चाहिए.
► दूध की मात्रा एवं दुग्ध काल अच्छा होना चाहिए.
► बकरी की प्रजनन क्षमता (दो ब्यातों के बीच अंतराल एवं जुड़वा बच्चे पैदा करने की दर) अच्छी हो.
🐐 बकरी पालन के लिए पोषण प्रबंधन :-
► नवजात बच्चों को पैदा होने के आधे घंटे के अन्दर खीस पिलायें. इससे उन्हें जीवन भर रोग प्रतिरोधक क्षमता प्राप्त होती है.
►मांस उत्पादन के लिये नर बच्चों को 3 से 9 माह की उम्र तक शरीर भार का 2-5 से 3% तक समुचित मात्रा में ऊर्जा (मक्का, जौ, गेहूँ) एवं प्रोटीन (मूंगफली, अलसी, तिल, बिनौला की खल) अवयव युक्त रातब मिश्रण देवें. इस रातब मिश्रण में ऊर्जा की मात्रा लगभग 60% एवं प्रोटीन युक्त अवयव लगभग 37%, खनिज मिश्रण 2% एवं नमक 1% होना चाहिए.
► जिन बकरियों का दूध उत्पादन लगभग 500 मि.ली. /दिन हो उन्हें 250 ग्राम, एक लीटर दूध पर 500 ग्राम रातब मिश्रण दें. इसके उपरान्त प्रति एक लीटर अतिरिक्त दूध पर 500 ग्राम अतिरिक्त रातब मिश्रण देवें .
🐐 बकरी पालन के लिए आवास प्रबंधन :-
► पशु गृह में पर्याप्त मात्रा में धूप, हवा एवं खुली जगह हो.
► सर्दियों में ठंड से एवं बरसात में बौछार से बचाने की व्यवस्था करें.
► पशु गृह को साफ एवं स्वच्छ रखें.
►वर्षा ऋतु से पूर्व एवं बाद में फर्श के ऊपरी सतह की 6 इंच मिट्टी बदल दें.
►अल्प आयु मेमनों, गर्भित बकरियों एवं प्रजनक बकरे की अलग आवास व्यवस्था करें.
🐐 बकरी पालन के लिए स्वास्थ्य प्रबंधन :-
►वर्षा ऋतु से पहले एवं बाद में (साल में दो बार) कृमि नाशक दवा पिलायें.
►रोग निरोधक टीके (मुख्यतः: पी.पी.आर., ई.टी., पॉक्स, एफ.एम. डी. इत्यादि) समय से अवश्य लगवायें.
►बीमार पशुओं को छटनी कर स्वस्थ पशुओं से अलग रखें एवं तुरंत उपचार कराएं.
►आवश्यकतानुसार बाह्य परजीवी के उपचार के लिए ब्यूटाक्स (1 प्रतिशत) के घोल से स्नान करायें.
🐐 बकरियों को बाजार में ऐसे बेचें :-
किसानों व पशुपालकों को बकरी को उनके शरीर के भार के अनुसार ही बेचें. वहीं, मांस उत्पादन के लिए पाले गये नरों को लगभग 1 वर्ष की उम्र पर बेच दें. इसके उपरान्त शारीरिक भार वृद्धि बहुत कम (10-15 ग्राम प्रतिदिन) एवं पोषण खर्च अधिक रहता है.
🐐 स्त्रोत:- AgroStar
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