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वर्टिकल फार्मिंग के फ़ायदे!
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वर्टिकल फार्मिंग के फ़ायदे!
🌱बढ़ती जनसंख्या के साथ ही विश्व में खाद्यान की मांग भी बढ़ती जा रही है. पर दूसरी तरफ खेती योग्य जमीन घटती जा रही है क्योंकि कृषि योग्य भूमि का उपयोग भी गैर कृषि कार्यों के लिए होने लगा है. ऐसे में पूरी आबादी को पेटभर खाना खिलाना एक बड़ी चुनौती है. हालांकि इजरायल की तकनीक से सीखकर यहां भी उसे अपनाया जा रहा है. इस तकनीक को वर्टिकल फार्मिंग (Vertical Farming) कहा जाता है. इसमें जमीन से ऊपर कई लेयर में फार्मिंग की जाती है! क्या है वर्टिकल फार्मिंग- 👉जैसा की इसके नाम में ही वर्टिकल जुड़ा हुआ है, खेती भी वैसी ही की जाती है. इस तकनीक में एक शेड के अंदर जमीन में पाईप गाड़कर एक फ्रेम तैयार किया जाता है. इसमें रैक की तरह लेयर बाई लेयर बॉक्स बनाये जाते हैं जो ऊपर से खुले रहते हैं. वर्टिकल फार्मिंग के स्ट्रक्चर के लिए जीआई पाईप का इस्तेमाल करना बेहतर माना जाता है क्योंकि यह लंबे समय तक टिकता है. पाईप के फ्रेम पर जो बॉक्स लगाया जाता है वह दो फीट चौड़ा और दो से तीन फीच गहरा होगा है. जिसमें मिट्टी भर कर हल्दी रोपी जाती है. हल्दी की खेती के लिए 12 से 26 डिग्री का तापमान को उपयुक्त माना गया गया है. अगर शेड में तापमान इससे अधिक होता है फॉगर्स के जरिये पानी की फुहार दी जाती है जिससे तापमान फिर से कम हो जाता है! कैसे होती है वर्टिकल फार्मिंग- 👉हल्दी की वर्टिकल खेती ज्यादा सफल है क्योंकि इसे अधिक धूप की जरूरत नहीं होती है. यह छाया में अच्छी पैदावार देती है. इस विधि से हल्दी की खेती करने के लिए जीआई पाइप के स्ट्रक्टर में लगाये गये बॉक्स में जिग जैग तरीके से हल्दी की रोपाई की जाती है. पौधे से पौधे के बीच की दूरी 10 सेमी रखी जाती है. हल्दी के बड़े होने के बाद इसके पत्ते बाहर निकल जाते हैं. शेड में किये गये वर्टिकल फार्मिंग में हल्दी की फसल 9 महीने में तैयार हो जाती है. इसके अलावा हार्वेस्टिंग के बाद तुरंत हल्दी लगायी जा सकती है! मिट्टी की तैयारी और सिंचाई- 👉वर्टिकल फार्मिंग के लिए बॉक्स में भरने वाली मिट्टी की सबसे पहले जांच करानी चाहिए. ताकी किसान को यह पता चल सके की मिट्टी में कौन कौन से पोषक तत्वों की कमी है और उसे दूर किया जा सके. इसके बाद उसमें कोकोपीट और वर्मी कंपोस्ट मिलाई जाती है और मिट्टी में जिन चीजों की कमी होती है, उन पोषक तत्वों को अलग से डाला जाता है. इससे मिट्टी हल्दी की खेती के लिए तैयार हो जाती है. इस विधि में सिंचाई के लिए आरओ वाटर का इस्तेमाल होता है. क्योंकि सामान्य पानी का पीएच, टीडीएस या खारापन कम-ज्यादा होने की वजह से पौधे को नुकसान हो सकता है! वर्टिकल खेती के फायदे- 👉वर्टिकल खेती का सबसे बड़ा फायदा यह है कि कम जमीन में अधिक उत्पादन हासिल हो जाता है. इसके साथ ही यह खेती शेड में होती है तो सममें खेती के लिए मौसम पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है. इसकी खेती बंद जगह पर होती है तो कीट का प्रकोप नहीं होता है. खराब मौसम का असर नहीं होता है. इसमें पानी की बचत होती है. साथ ही इसे पूरी तरह से जैविक तरीके से किया जा सकता है! स्त्रोत:- TV9 👉 प्रिय किसान भाइयों अपनाएं एग्रोस्टार का बेहतर कृषि ज्ञान और बने एक सफल किसान। दी गई जानकारी उपयोगी लगी, तो इसे लाइक 👍 करें एवं अपने अन्य किसान मित्रों के साथ शेयर करें धन्यवाद!
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