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लहसुन प्याज में कीटों का खात्मा!
🌱प्याज व लहसुन से अधिक उत्पादन के लिए हानिकारक रोग एवं कीट की रोकथाम आवश्यक है। आर्थिक दृष्टी से कुछ प्रमुख हानिकारक कीट व रोग है, जो फसल को अत्यधिक हानी पहुंचाते हैं। जिनकी रोकथाम करना आवश्यक है। इस लेख में प्याज व लहसुन में एकीकृत रोग एवं कीट के प्रबंधन का विस्तृत उल्लेख किया गया है।
🌱प्रमुख कीट:-
थ्रिप्स :- यह छोटे और पीले रंग के कीट होते है जो पत्तियों का रस चूसते हैं। जिससे इनका रंग चितकबरा दिखाई देने लगता है। इनके प्रकोप पत्तियों के शीर्ष भूरे होकर एवं मुरझाकर सूख जाते हैं।
🌱प्रबंधन: इस कीट के नियंत्रण के लिए फिप्रोनिल 5% एससी @400 मिली प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में घोल बनाकर 15 दिन के अन्तराल पर छिड़काव करना चाहिए।
🌱सफेद लट:-
प्रबंधन:
● खेत में कच्ची गोबर की खाद का उपयोग नहीं करें।
● सफेद लट के नियंत्रण हेतु प्रभावित खेतों में जड़ों के पास क्लोरोपायरीफॉस 20% ईसी 500 मिली प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से इस प्रकार छिड़काव करें कि दवाई 3-4 इंच नीचे पहुंच सके अथवा।
● कार्बोफ्यूरान 3% सीजी 13 किग्रा. प्रति एकड़ की दर से भुरकाव कर सिंचाई करें।
🌱प्रमुख रोग:
बैंगनी धब्बा :-
बैंगनी धब्बा रोग (पर्पल ब्लाच) इस रोग के प्रभाव से प्रारम्भ में पत्तियों तथा उर्ध्व तने पर सफेद एवं अंदर की तरफ धब्बे बनते हैं, जिससे तना एवं पत्ती कमजोर होकर गिर जाती है। फरवरी एवं अप्रैल में इसका प्रकोप ज्यादा होता है।
🌱प्रबंधन:
● मेंकोजेब 64%+मेटालेक्सिल 4% घुलनशील चूर्ण 400 ग्राम एकड़ प्रति 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
🌱झुलसा रोग:-
इस रोग के प्रकोप की स्थिति में पत्तियों की उर्ध्व स्तम्भ पर हल्के नारंगी रंग के धब्बे बनते हैं।
प्रबंधन:
मेंकोज़ेब 75% डब्ल्यूपी 500 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी की दर से 10 से 15 दिन के अंतराल पर दो बार छिड़काव करें।
🌱स्त्रोत:- Agrostar
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