गुरु ज्ञानAgroStar
रतुआ रोग का होगा सफाया!
● इस रोग कि पहचान यह है कि प्रारम्भ में इस रोग के लक्षण नारंगी रंग के सुई की नोक के बिंदुओं के आकार के बिना क्रम के पत्तियों की उपरी सतह पर उभरते हैं जो बाद में और घने होकर पूरी पत्ती और पर्ण वृंतों पर फैल जाते हैं।
● रोगी पत्तियां जल्दी सुख जाती है जिससे प्रकाश संश्लेषण में भी कमी होती है और दाना हल्का बनता है। गर्मी बढऩे पर इन धब्बों का रंग, पत्तियों की निचली सतह पर काला हो जाता है। इस रोग से गेहूं की उपज में 30 प्रतिशत तक की हानि हो सकती है ।
● धब्बे दिखाई देने पर 0.1 प्रतिशत प्रोपीकोनेजोल (टिल्ट 25 ईसी) का एक या दो बार पत्तियों पर छिड़काव करें या फिर मैंकोजेब ७५ % घटकयुक्त पनाका एम-४५ @ २.५ ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करे।
● स्त्रोत:- AgroStar
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