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यह मशीन किसानों के लिए है लाभकारी, लागत में आ रही कमी और बढ़ रही कमाई!
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यह मशीन किसानों के लिए है लाभकारी, लागत में आ रही कमी और बढ़ रही कमाई!
👉पेड़ों पर लगने वाले फल अलग-अलग आकार के होते हैं. कोई फल बड़ा तो कोई छोटा होता है. बाजार में सामान आकार वाले फलों को ज्यादा पसंद किया जाता है और इनकी कीमत भी ज्यादा मिलती है. इसलिए किसान सामान आकार वाले फलों की ग्रेडिंग या छंटाई करते हैं. अभी तक यह काम हाथ से ही किया जाता रहा है. हालांकि हाथ से इस काम को करने में कई तरह की समस्याएं भी आती हैं. जैसे कि मजदूर सही आकार का अंदाजा नहीं लगा पाते और ग्रेडिंग के बाद भी आकार में भिन्नता रह जाती है. वहीं हाथ से इस काम को करने में काफी वक्त लग जाता है. अगर मजदूर सही समय पर न मिलें तो काम भी प्रभावित होता है। 👉इसी समस्या को देखते हुए मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान ने गोल आकार वाले फलों की ग्रेडिंग के लिए एक मशीन बनाई है, जिसे फ्रूट ग्रेडर नाम दिया गया है. इस मशीन में एक ग्रेडिंग यूनिट, 37 बेल्ट कंवेयर और एक फीडिंग यूनिट लगी है. मशीन में एक फ्लैप होता है जो फलों की ग्रेडिंग करने का काम करता है। सैकड़ों मजदूरों के बराबर काम करती है मशीन:- 👉इसे 30 और 145 मिली लीटर के बीच सेट कर के फलों को पांच श्रेणी में छांट कर अलग किया जा सकता है. खास तौर पर सेब, मौसमी, संतरा और चीकू जैसे गोल आकार के फलों की छंटाई में यह शानदार काम करता है. ये मशीन सैकड़ों मजदूरों के बराबर काम करती है और एक घंटे में पांच टन फलों की ग्रेडिंग करने की क्षमता है। 👉किसान भाई सोच रहे होंगे कि मशीन से ग्रेडिंग करने पर फलों को नुकसान होता होगा, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. इस मशीन की कीमत भी ज्यादा नहीं है. इसे खरीदने के लिए किसान भाइयों को महज 1 लाख रुपए खर्च करने पड़ेंगे. इस मशीन से एक किलो फलों की ग्रेडिंग करने पर 80 पैसे की बिजली खर्च होती है। कम समय और लागत में मशीन से हो जाती है ग्रेडिंग:- 👉डीडी किसान के एक रिपोर्ट के मुताबिक, मध्य प्रदेश के रहने वाले श्रीधर पाटीदार के पास मौसमी के बाग हैं. 65 एकड़ जमीन पर फैले बागों से 1250 टन मौसमी उपजती है. एक व्यक्ति हाथों से रोजाना 450 किलो फलों की ग्रेडिंग कर सकता है. इस तरह सालाना 1250 टन मौसमी के ग्रेडिंग के लिए 2778 मजदूरों की जरूरत पड़ती है. एक व्यक्ति की मजदूरी 400 रुपए प्रति दिन के हिसाब से 1250 टन फलों की ग्रेडिंग के लिए उन्हें 11 लाख रुपए से भी ज्यादा खर्च करना पड़ता है। 👉इसी वजह से श्रीधर पाटीदार ने फलों की ग्रेडिंग करने वाली मशीन खरीद ली है. इस मशीन की क्षमता पांच टन प्रति घंटा है. मशीन को 8 घंटे भी चलाया जाए तो 32 दिनों में 1250 टन मौसमी की ग्रेडिंग किया जा सकता है और लागत आती है 10 लाख रुपए. यानी एक लाख रुपए से अधिक की बचत होती है। 👉दूसरी तरफ मौसमी का मूल्य 20 रुपए किलो था जबकि श्रेणीकृत फल 25 रुपए किलो के हिसाब से बिक जाते हैं. इस तरह 1250 टन श्रेणीकृत मौसमी से सालाना शुद्ध लाभ 62 लाख 50 हजार रुपए रहा. ऐसे में इस मशीन के इस्तेमाल से किसानों का खर्च कम हो रहा है और कम समय में अधिक कमाई के मौके बन रहे हैं। स्रोत:- TV9 Hindi, 👉प्रिय किसान भाइयों अपनाएं एग्रोस्टार का बेहतर कृषि ज्ञान और बने एक सफल किसान। दी गई जानकारी उपयोगी लगी, तो इसे लाइक 👍🏻 करें एवं अपने अन्य किसान मित्रों के साथ शेयर करें धन्यवाद!
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