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यह खेती किसानों को कर रही मालामाल, लागत कम और मुनाफा कई गुना ज्यादा!
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यह खेती किसानों को कर रही मालामाल, लागत कम और मुनाफा कई गुना ज्यादा!
👉केंद्र सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए लगातार प्रयासरत है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने के लक्ष्य के साथ सरकार काम कर रही है. इसी वजह से किसानों को पारंपरिक फसलों से हटकर कुछ अलग करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. इन प्रयासों का नतीजा है कि भारत में औषधीय पौधों की खेती तेजी से बढ़ रही है। 👉किसान अब अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए पारंपरिक फसलों पर निर्भर नहीं हो रहे हैं. सरकार की तरफ से मिल रही सहायता का लाभ लेकर वे नए-नए प्रयोग कर रहे हैं और उन्हें सफलता भी मिल रही है. इसी कड़ी में अब उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, हरियाणा और महाराष्ट्र के किसान औषधीय गुणों से भरपूर अकरकरा की खेती कर रहे हैं. इसकी खेती में लागत काफी कम है और मुनाफा कई गुना ज्यादा। 4-5 लाख रुपए तक होती है कमाई:- 👉अकरकरा की खेती कर रहे किसान बताते हैं कि एक एकड़ दो क्विंटल तक बीज और 10 क्विंटल तक जड़े प्राप्त होती हैं. इनकी बाजार में कीमत 400 रुपए किलो तक है. किसानों के मुताबिक, अकरकरा की एक एकड़ में खेती करने का खर्च 40 हजार रुपए आता है जबकि पैदावार बेचकर आप आराम से 4-5 लाख रुपए कमा सकते हैं. दवा बनाने वाली कुछ कंपनियां किसानों से अकरकरा की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग भी कराती हैं। अकरकरा की खेती के लिए जल निकास वाली जमीन सबसे उपयुक्त:- 👉कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि अकरकरा की खेती के लिए जल निकास वाली जमीन सबसे अच्छी होती है. अगर खेत की मिट्टी भुरभुरी और नरम है तो पैदावार ज्यादा होगी. इसकी बुवाई के लिए अक्टूबर-नवंबर का महीना सबसे उपयुक्त माना जाता है. इसे किसान भाई सीधे बीज के जरिए भी लगा सकते हैं. हालंकि पौध लगाकर रोपाई करने पर ज्यादा उत्पादन होता है। खेती में 6 महीने से अधिक का समय लगता है:- 👉इस औषधीय पौधे की खेती में कुल 6-8 महीने का वक्त लगता है. किसान बताते हैं कि रोपाई के 5-6 महीने बाद अकरकरा के पौधे खुदाई लायक हो जाते हैं. खुदाई के बाद इन्हें जड़ से अलग किया जाता है. फिर उन्हें सूखाया जाता है. इसके बाद जड़े बेचने के लिए तैयार हो जाती हैं. मध्य प्रदेश के नीमच मंडी में किसान बड़े पैमाने पर अकरकरा को बेचने के लिए आते हैं। कई रोग के इलाज में मददगार:- 👉आयुर्वेद की जानकारी रखने वाले बताते हैं कि अकरकरा के सेवन से सर्दी-जुकाम से राहत मिलती है. इसके अलावा, बदलते मौसम में भी इसके सेवन की सलाह दी जाती है. लकवा के मरीज भी शहद के साथ इसे लेते हैं. बता दें कि अकरकरा का उपयोग आयुर्वेद में 400 से अधिक वर्षों से हो रहा है. दंतमंजन बनाने लेकर दर्द और थकान दूर करने वाली दवाओं में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। आलू के विकल्प के तौर पर अपना रहे हैं किसान:- 👉इन्हीं सब वजहों से इसकी मांग हमेशा बनी रहती है, लेकिन उत्पादन कम होने से आपूर्ति में दिक्कत होती है. हालांकि अब बड़ी संख्या में किसान इसकी खेती करने लगे हैं. उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में किसान आलू के विकल्प के तौर पर अकरकरा लगा रहे हैं और उन्हें इससे काफी लाभ हो रहा है. अकरकरा भी आलू की तरह ही कंदवर्गीय पौधा है। स्रोत:- TV 9 Hindi, 👉प्रिय किसान भाइयों अपनाएं एग्रोस्टार का बेहतर कृषि ज्ञान और बने एक सफल किसान। दी गई जानकारी उपयोगी लगी, तो इसे लाइक 👍🏻 करें एवं अपने अन्य किसान मित्रों के साथ शेयर करें धन्यवाद!
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