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यही सही समय है शिमला मिर्च की खेती के चुनाव का!
🌾नमस्कार किसान भाइयों स्वागत है आप का एग्रोस्टार के कृषि लेख में किसान भाइयों,वैज्ञानिक तरीके से शिमला मिर्च की खेती कर लाखों का मुनाफा कमा सकते हैं किसान. रोपाई के 75 दिन बाद पौधा पैदावार देना शुरू कर देता है. एक हेक्टेयर में करीब 300 क्विंटल तक पैदावार होती है. लगभग 100 रुपये प्रति किलो मिलती है औसत कीमत.
🌾बाजार में आमतौर पर शिमला मिर्च का दाम दूसरी सब्जियों से बेहतर मिलता है. जिन किसानों ने यह बात समझी है वो आज अच्छा पैसा कमा रहे हैं. उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में ऐसे कई किसान हैं जो शिमला मिर्च की खेती से अच्छी कमाई कर रहे हैं. यहां के किसानों की पैदा की गई शिमला मिर्च दिल्ली से लेकर आगरा तक जा रही है. ऐसे ही एक किसान हैं कमल. उनका कहना है कि यह बेहतर मुनाफा देने वाली खेती है. इसकी खेती किसानों की आय बढ़ाने वाली है.
🌾सामान्य सब्जियों की तरह इसकी खेती भी हर तरीके की जलवायु में हो जाती है. अच्छी फलत के साथ किसानों को भरपूर आय मिलती है. किसान ने बताया कि उन्होंने काफी समय से परती पड़े एक हेक्टेयर खेत में गोबर की खाद डालने के बाद में उसकी जुताई की. उसके बाद पाटा लगाकर खरपतवार को बाहर निकाल कर खरपतवार और बैक्टीरिया नाशक दवाओं का छिड़काव किया और शिमला मिर्च की खेती शुरू कर दी.
🌾सिर्फ 75 दिन में मिलना शुरू हो जाता है फल:-
किसान ने बताया कि खेत में क्यारियां बनाने के बाद उन्होंने शिमला मिर्च की तैयार पौध को उचित दूरी पर रोप दिया था. समय-समय पर सही खाद पानी और कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करके उत्तम फसल प्राप्त की है. शिमला मिर्च की खेती के लिए जमीन का पीएच मान 6 होना चाहिए. शिमला मिर्च का पौधा 40 डिग्री तक का तापमान सह सकता है और करीब रोपाई के 75 दिन बाद पौधा पैदावार देना शुरू कर देता है. एक हेक्टेयर में करीब 300 क्विंटल शिमला मिर्च की पैदावार होती है.
🌾इस समय कितनी है कीमत:-
कमल ने बताया कि उन्होंने सोलन भरपूर प्रजाति के बीज का इस्तेमाल किया है. इस पौधे का आकार अच्छा होता है. इसका फल जल्दी नहीं सड़ता. इस समय शिमला मिर्च 100 किलो बाजार में बिक रही है. फसल बाजार में हाथों-हाथ खरीदी जा रही है. जिससे लाखों का मुनाफा हो रहा है. यह पैदावार करीब 6 महीने तक इसी तरीके से होती रहती है. पौधों का प्रबंधन करने के लिए करीब हर महीने एक गुड़ाई की आवश्यकता होती है. इससे पौधों में हरियाली और रौनक रहती है. खरपतवार नियंत्रित रहने से पौधों की फलत और खूबसूरती बरकरार रहती है.
🌾कितनी होती है पैदावार:-
पौधों के पत्तों में छिद्र दिखाई पड़ने पर वह सल्फर का उचित मात्रा में पेड़ों पर छिड़काव करते हैं. फसल को ज्यादातर मोजेक रोग, उकठा रोग और तना छेदक जैसी फफूंद कीट नुकसान पहुंचाते हैं. समय से देखरेख करने से पौधों की खुशहाली बरकरार रहती है. किसान ने बताया कि वैसे तो वह करीब 300 क्विंटल फसल लेने की तैयारी में हैं. लेकिन अगर मौसम ने साथ दिया तो यह 500 क्विंटल तक जा सकती है.
🌾स्रोत:- Agrostar
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