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 मूंग फसल में सरकोरस्पोरा का नियंत्रण!
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मूंग फसल में सरकोरस्पोरा का नियंत्रण!
🍃मूंग की फसल में सरकोरस्पोरा पत्ती धब्बा रोग का नियंत्रण🍃 🌱लक्षण - मूंग का यह एक प्रमुख रोग है जिससे प्रतिवर्ष उपज में भारी क्षति होती है। यह रोग भारत के लगभग सभी मूंग उगाने वाले क्षेत्रों में व्यापकता से पाया जाता है। वातावरण में अधिक नमीं होने की दशा में इस रोग का संचरण होता है। अनुकूल वातावरण में यह रोग एक महामारी का रुप ले सकता है। यह रोग "सरकोस्पोरा क्रुएन्टा या सरकोस्पोरा केनेसेन्स" नामक कवक द्वारा होता है। यह कवक बीज के साथ मिल जाता है और ऐसे बीज का बिना उपचार के बोने से फसल में अधिक रोग हो सकता है। यह कवक रोग ग्रसित पौधे के अवशेषों व मृदा में पडा रहता है। 🌱सरकोस्पोरा पत्ती धब्बा रोग के कारण पत्तियों पर भूरे गहरे रंग के धब्बे पड़ जाते हैं जिनका बाहरी किनारा गहरे से भूरे लाल रंग का होता है। यह धब्बे पत्ती के ऊपरी सतह पर अधिक स्पष्ट दिखायी पड़ते हैं। रोग का संक्रमण पुरानी पत्तियों से प्रारम्भ होता है। अनुकूल परिस्थतियों में यह धब्बे बड़े आकार के हो जाते हैं और अन्ततः रोगग्रसित पत्तियाँँ गिर जाती हैं। 🌱नियंत्रण - ● रोग का प्रबंधन रोग से बचाव के लिये रोग मुक्त बीज का प्रयोग करें। ● रोग के उत्पन्न होने से रोकने के लिये खेत की सफाई व पानी विकास की व्यवस्था करने के साथ साथ फसल चक्र अपनाना चहिये। रोग ग्रस्त फसल के अवशेषों को भली प्रकार से नष्ट कर दें तथा खेत के आस पास वायरस पोसी फसलों को लगाने से बचें। ● बुवाई से पहले बीज को कार्बेन्डाजिम मैनकोज़ब घटक युक्त मॅन्डोज 3 ग्राम प्रति किलो बीज की मात्रा से बीज उपचार करे। ●इसके नियंत्रण के लिए आप कार्बेन्डाजिम मैनकोज़ब घटक युक्त मॅन्डोज @ 2.5 ग्राम प्रति लीटर छिड़काव करे., या फिर मेटॅलॅक्सिल + मेन्कोझेब घटकयुक्त मेटल ग्रो @ 2.5 ग्राम प्रति लीटर छिड़काव करे, या फिर अजोक्सीस्ट्रोबिन 11 % + टेबूकोनाज़ोल 18.3 % घटकयुक्त रोज़तम @ 200 मिली प्रति एकड़ छिड़काव् कर सकते है। ●अगर रोग फलियाँ आने के बाद रोग दिखाई देता है तो इस अवस्था में कवकनाशी रसायन के प्रयोग से कोई लाभ नहीं मिलता है। 🌱स्रोत:-AgroStar किसान भाइयों ये जानकारी आपको कैसी लगी? हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं और लाइक एवं शेयर करें धन्यवाद!
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