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मूंग की फसल में पीत शिरा मोजेक वायरस का संक्रमण!
सलाहकार लेखIIPR
मूंग की फसल में पीत शिरा मोजेक वायरस का संक्रमण!
यह एक विषाणु जनित रोग है मूंग व उर्द की फसलों को क्षति पहुंचाता है। यह रोग सामान्य अवस्था में फसल बोने के लगभग दो से तीन सप्ताह के अन्दर प्रकट होने लगता है। यह पीत शिरा मोजेक रोग सफेद मक्खी के द्वारा फसलों पर फैलता है। यह मक्खी पौधों का रस चूसती है। यह मक्खी एक स्वस्थ्य पौधे पर चूसती है तो साथ में विषाणु का भी स्वस्थ्य पौधे में संचारण करती है। इस रोग के प्रारंभिक लक्षण पत्तियों पर पीले धब्बे के रुप में दिखायी पड़ते हैं जो आपस में एक साथ मिलकर, तेजी से फैलकर पत्तियों पर बड़े-बड़े धब्बे बनाते हैं। अन्ततः पत्तियाँँ पूर्ण रुप से पीली हो जाती हैं। रोग ग्रसित पौधे देर से परिपक्व होते है तथा ऐसे पौधों में फूल और फलियॉँ स्वस्थ पौधों की अपेक्षा बहुत कम लगती हैं। पीत शिरा मोजेक रोग से ग्रसित पौधों में पत्तियों के साथ-साथ फलियों तथा दानों पर पीले धब्बे बन जाते हैं। यह रोग सफेद मक्खी द्वारा फैलता है। रोग का प्रबंधन रोग अवरोधी प्रजातियों का चयन इस रोग के प्रबंधन का सरलतम उपाय है। यह रोग सफेद मक्खी द्वारा फैलता है इसलिये सफेद मक्खी का नियंत्रण करके इस रोग को नियंत्रित किया जा सकता है। खेत में रोग के लक्षण दिखते ही या बुवाई के 15 दिनो के पश्चात इमीडाक्लोप्रिड 0.1 प्रतिशत (10 मिली. प्रति 10 लीटर पानी) या डायमेथोएट 0.3 प्रतिशत (30 मिली. प्रति 10 लीटर पानी) का फसल पर छिड़काव करें। इन कीटनाशियों का दूसरा छिडकाव बुवाई के 45 दिनों के पश्चात करने से इस रोग के प्रकोप को कम किया जा सकता है। रोग ग्रसित पौधों को शुरु में ही उखाड़ कर नष्ट कर देना चाहिए।
स्रोत:- IIPR, प्रिय किसान भाइयों दी गई जानकारी उपयोगी लगी, तो इसे लाइक करें एवं अपने अन्य किसान मित्रों के साथ शेयर करें धन्यवाद!
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