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मिर्च की फसल में छाछया रोग के लक्षण एवं नियंत्रण!
👉मिर्च की फसल में नवंबर से फरवरी तक छाछया रोग दिखाई देता है। शुष्क मौसम और आंशिक रूप से बादल छाए रहने और कम आर्द्रता के कारण छाछया रोग अधिक हो जाता है। जब रोग संक्रमित होता है, तो नीचे वाली पुरानी पत्तियों पर भूरे रंग का पाउडर दिखाई देती है, जो प्रकाश संश्लेषण में बाधा उत्पन्न करता है और उससे पत्तियाँ, फूल पीले होकर गिर जाते हैं और पेड़ सुस्त हो जाता है।
👉इसके समाधान के रूप में पोटाश युक्त पोषकतत्व की संतुलित मात्रा में देना चाहिए। ताकि फसल छाछया रोग का शिकार न हो।
खड़ी फसल में समस्या दिखे तो नियंत्रण हेतु टेबुकोनाज़ोल 10 % + सल्फर 65 % घटकयुक्त टेबुल @ 2.5 ग्राम प्रति लीटर या फिर अझॉक्सीस्ट्रोबिन + टेबुकोनाज़ोल घटकयुक्त रोजताम @ 2.5 मिली प्रति लीटर या फिर सल्फर 80 % @ 2 ग्राम प्रति लीटर या फिर टेबुकोनाज़ोल 50% + ट्राइफ्लॉक्सिस्ट्रोबिन 25% घटकयुक्त नेटिवों @ 0.75 ग्राम प्रति लीटर के हिसाब से छिड़काव करे।
👉स्त्रोत:-Agrostar India,
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