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मिर्च की खेती में उत्पादन बढ़ाने एवं खर्च कम करने योग्य बातें!
सलाहकार लेखएग्रोस्टार एग्रोनोमी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस
मिर्च की खेती में उत्पादन बढ़ाने एवं खर्च कम करने योग्य बातें!
👉🏻मिर्च की खेती काफी खर्चीली खेती मानी जाती है। इसका मुख्य कारण मिर्च की खेती में रासायनिक उर्वरक व दवाओं पर किसानों की अत्यधिक निर्भरता है। मिर्च की फसल में खर्च कम करने के लिए किसानों को रासायनिक उर्वरक व दवाओं के संतुलित उपयोग के साथ इनके जैविक विकल्पों जैसे- केंचुआ खाद, नीम की खली, गोबर की खाद, हरी खाद, बायोपेस्टीसाइड़, नीम तेल आदि का उपयोग भी करना होगा। किसान खरपतवारनाशक रसायनों का उपयोग न करके निंदाई गुड़ाई करें तो भी खर्च में कमी आयेगी। इसके अलावा कीट एवं रोग नियंत्रण के लिए समेकित नाशीजीव तकनीक अपनानी चाहिए। उत्पादन बढ़ाने के उपाय:- 👉🏻प्रमाणित बीज का उपयोग करें। 👉🏻मिर्च की फसल में जल निकास की उचित व्यवस्था करें। 👉🏻कार्बेन्डाजिम फफूदनाशी से पौधशाला के स्थान को उपचारित करें। 👉🏻जिस खेत में पहले मिर्च, सोयाबीन, मूंग, भिण्डी की फसल ली हो उसमें पौधशाला तैयार न करें। 👉🏻पौधशाला के चारों ओर कपड़े या जाली से बाउण्ड्री बना दें, कपड़े या जाली पर गौमूत्र/नीम का तेल/सड़ी छाछ से हर 4 से 5 दिन पर छिड़काव करते रहें। 👉🏻इससे पौधशाला की कई प्रकार के कीटों व जानवरों से बचाया जा सकता है। 👉🏻वायरस से ग्रसित पौधों को उखाडकर नष्ट कर दें। 👉🏻उर्वरकों का प्रयोग मिटटी परिक्षण के आधार पर करें। 👉🏻रासायनिक उर्वरको व दवाईयों का संतुलित मात्रा में उपयोग करें। 👉🏻समय पर फल तुड़ाई करें। स्रोत:- एग्रोस्टार एग्रोनोमी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, 👉🏻 प्रिय किसान भाइयों अपनाएं एग्रोस्टार का बेहतर कृषि ज्ञान और बने एक सफल किसान। यदि दी गई जानकारी आपको उपयोगी लगी, तो इसे लाइक👍🏻करें एवं अपने अन्य किसान मित्रों के साथ शेयर करें धन्यवाद!
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