सलाहकार लेखएग्रोस्टार एग्रोनोमी सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस
मिर्च की खेती में उत्पादन बढ़ाने एवं खर्च कम करने योग्य बातें!
मिर्च की खेती काफी खर्चीली खेती मानी जाती है। इसका मुख्य कारण मिर्च की खेती में रासायनिक उर्वरक व दवाओं पर किसानों की अत्यधिक निर्भरता है। मिर्च की फसल में खर्च कम करने के लिए किसानों को रासायनिक उर्वरक व दवाओं के संतुलित उपयोग के साथ इनके जैविक विकल्पों जैसे- केंचुआ खाद, नीम की खली, गोबर की खाद, हरी खाद, बायोपेस्टीसाइड़, नीम तेल आदि का उपयोग भी करना होगा। किसान खरपतवारनाशक रसायनों का उपयोग न करके निंदाई गुड़ाई करें तो भी खर्च में कमी आयेगी। इसके अलावा कीट एवं रोग नियंत्रण के लिए समेकित नाशीजीव तकनीक अपनानी चाहिए। _x000D_
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उत्पादन बढ़ाने के उपाय_x000D_
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प्रमाणित बीज का उपयोग करें।_x000D_
मिर्च की फसल में जल निकास की उचित व्यवस्था करें।_x000D_
कार्बेन्डाजिम फफूदनाशी से पौधशाला के स्थान को उपचारित करें।_x000D_
जिस खेत में पहले मिर्च, सोयाबीन, मूंग, भिण्डी की फसल ली हो उसमें पौधशाला तैयार न करें।_x000D_
पौधशाला के चारों ओर कपड़े या जाली से बाउण्ड्री बना दें, कपड़े या जाली पर गौमूत्र/नीम का तेल/सड़ी छाछ से हर 4 से 5 दिन पर छिड़काव करते रहें।_x000D_
इससे पौधशाला की कई प्रकार के कीटों व जानवरों से बचाया जा सकता है।_x000D_
वायरस से ग्रसित पौधों को उखाडकर नष्ट कर दें।_x000D_
उर्वरकों का प्रयोग मिटटी परिक्षण के आधार पर करें।_x000D_
रासायनिक उर्वरको व दवाईयों का संतुलित मात्रा में उपयोग करें।_x000D_
समय पर फल तुड़ाई करें।
स्रोत:- एग्रोस्टार एग्रोनोमी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस
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