गुरु ज्ञानAgrostar
मिट्टी में नमी बनाए रखने के आधुनिक तरीके!
👉🏻मिट्टी में जरूरत के मुताबिक नमी का होना बहुत जरूरी है । खेत की तैयारी से लेकर फसल की कटाई तक मिट्टी में एक निश्चित नमी होनी चाहिए । कितनी नमी हो यह इस बात पर निर्भर करता है कि कौन सा कार्य करना है और मिट्टी की बनावट कैसी है । जैसे बलुवाही मिट्टी में कम नमी रहने से भी जुताई की जा सकती है, लेकिन चिकनी मिट्टी में एक निश्चित नमी होने से ही जुताई हो सकती है । इसी तरह अलग-अलग फसलों के लिए अलग-अलग नमी रहनी चाहिए । जैसे धान के लिए अधिक नमी की जरूरत है लेकिन बाजरा, ज्वार वगैरह कम नमी में भी उपजाई जा सकती है |
👉🏻पौधों के लिए आवश्यक नमी का होना बहुत ही जरूरी है । क्योंकि नमी के चलते ही पौधों की जड़ें फैलती हैं और पौधे नमी के साथ ही मिट्टी से अपना भोजन लेते हैं । ज्यादा पानी की वजह से फसल में आद्र गलन, उखटा रोग और जड़ गलन इस तरह के फफूंदजनित रोग की समस्या आती है।
👉🏻मिट्टी में नमी बनाए रखने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है वे है :-
◾खेत की सतह से वर्षा के जल के बहाव को रोकना ।
◾वर्षा के जल की बूँदों के प्रभाव से जमीन की सतह पर पपड़ी बन जाती है । इससे बीज के अंकुरण में बाधा आती है और जल के मिट्टी की गहराई के अंदर बह जाने की क्षमता भी कम हो जाती है ।
◾खेत की सतह को घास - फूस या फसल के अवशेषों द्वारा ढ़क देना| जिससे कि मिट्टी से जल का वाष्पीकरण रोका जा सकें ।
◾वर्षा जल संचय करना ताकि जरूरत के समय आवश्यक सिंचाई द्वारा मिट्टी की नमी कायम रखी जा सके ।
जल निकास का उचित प्रबंधन करे।
◾उसके बाद जमीन में नमी रहने के लिए अमोनियम सल्फेट @ २५ किलो प्रति एकड़ दीजिये साथ में फफूंदजनित रोग के बचाव के लिए कॉपर युक्त फफूंदनाशक हुमीक या बयोविटा के साथ दीजिये।"
स्त्रोत:- Agrostar,
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