गुरु ज्ञानAgrostar
मसूर में उकठा रोग का अचूक उपाय!
👉मसूर की फसल में उकठा रोग से पौधा धीरे-धीरे मुरझाकर सूख जाता है। छिलका भूरे रंग का हो जाता है तथा जड़ का चीर कर देखे तो उसके अन्दर भूरे रंग की धारियाँ दिखाई देती है। साथ ही पौधे पूरी तरह पीले होकर मर जाते हैं। उकठा का प्रकोप पौधे के किसी भी अवस्था में हो सकता है। मिट्टी में नमी होना, गर्म और नम वातावरण उकठा रोग के विकास में सहायक होता हैं। ज्यादा पानी की वजह से यह समस्या और बढ़ जाती है
नियंत्रण :-
1. गार्मियों में मिट्टी पलट हल से जुताई करने से भूमि जनित रोगों के नियंत्रण में सहायता मिलती
है। जिस खेत में हमेशा उकठा रोग की समस्या होती है तो उस खेत में 3-4 साल तक मसूर की फसल
नहीं लेनी चाहिए।
2. उकठा से बचाव हेतु नरेन्द्र मसूर-1, पन्त मसूर-4, मसूर-5, प्रिया, वैभव आदि प्रतिरोधी
प्रजातियों की बुवाई करना चाहिए।
3. भूमि जनित एवं बीज जनित रोगों के नियंत्रण हेतु बायोपेस्टीसाइड (जैव कवक
नाशी) ट्राइकोरमा बिरडी 1 प्रतिशत डब्लू.पी. या ट्राइकोडरमा हारजिएनम 2 प्रतिशत
डब्लू.पी. की 2.5 किग्रा० प्रति हे0 60-75 किग्रा० सड़ी हुए गोबर की खाद में मिलाकर हल्के
पानी का छींटा देकर 8-10 दिन तक छाया में रखने के उपरान्त बुवाई के पूर्व आखिरी जुताई पर
भूमि में मिला देने से मसूर के बीज/ में भूमि जनित रोगों का नियंत्रण हो जाता है।
4. उसके उपरांत रासायनिक उपचार हेतु कॉपर ऑक्सीक्लोराइड घटक युक्त कूपर 1 @ 500 ग्राम
साथ में कार्बनडेंज़िम घटकयुक्त धानुस्टीन @ 500 ग्राम प्रति एकड़ जमीन से दे।
👉स्त्रोत:-Agrostar
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