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मधुमक्खी पालन में ली जाने वाली देखभाल
गुरु ज्ञानएग्रोस्टार एग्रोनोमी सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस
मधुमक्खी पालन में ली जाने वाली देखभाल
गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, हरियाणा और अन्य कुछ राज्यों के किसान खेती के साथ मधुमक्खी पालन व्यवसाय कर रहे हैं। मधुमक्खियों की विभिन्न प्रजातियों में से, भारतीय और इटालियन मधुमक्खियों को पालना सुविधाजनक है। भारतीय मधुमक्खी की व्यावसायिक खेती करके प्रति वर्ष एक बॉक्स से 15 से 30 किग्रा शहद मिलता है। इटालियन मधुमक्खी भारतीय मधुमक्खी से आकर में बडी और स्वभाव में शांत होती है। इटालियन मधुमक्खी की व्यावसायिक खेती से प्रति वर्ष एक बॉक्स से औसत 30 किग्रा और अधिकतम 70 किग्रा शहद मिलता है। अधिकतर समय, व्यावसायिक मधुमक्खी पालन के लिए इटालियन मधुमक्खी का उपयोग किया जाता है। मधुमक्खी पालन से शहद प्राप्त होता है और साथ ही यह फसलों में परागण की सुविधा देता है जो फसल के उत्पादन और गुणवत्ता को भी बढ़ाता है । वैकल्पिक आय अर्जित करने के लिए किसान इस व्यवसाय को अपना सकते हैं। मधुमक्खी पालन में ली जाने वाली देखभाल  साल भर में पराग और शहद मिलता रहे इसलिए फसलों का नियोजन और ऐसे पौधों का लगातार रोपण करते रहें।  ऐसी फसलों पर दवाओं का छिड़काव न करें, जहां मधुमक्खीयाँ अधिक जाती हैं।  मधुमक्खियों के लिए अच्छी गुणवत्ता की लकड़ी से बने हुए बक्से इस्तेमाल किए जाने चाहिए । इनका उपयोग करने से पहल बॉक्स को फोर्मालडिहाइड घोल से साफ करें । बक्सों को ठंडे, स्वच्छ लकड़ी के स्टैंड पर रखना चाहिए । पानी से भरे एक कटोरे को स्टैंड के नीचे रखना चाहिए ताकि कीड़े, चींटियां बक्से में न जाएं। हर सुबह बक्सों को ठीक से साफ करना चाहिए।  बार बार बक्सों का स्थान नहीं बदलना चाहिए। यदि आवश्यक हो, तो केवल रात में जगह बदलें।  यदि कुछ बक्सों में मृत मधुमक्खियाँ पाइ जाएं तो कारण पता लगाएं और उचित कदम उठाएं।  रानी मधुमक्खी बक्से की निचले भाग में रहती है, इसलिए बीच में एक जाली रखें, ताकि वह ऊपरी भाग में न जा पाए।  बक्से के आसपास साफ पानी की व्यवस्था करें।  खेत में पर्याप्त फसल उपलब्ध न होने पर, मधुमक्खियों के लिए भोजन के रूप में शक्कर का घोल बनाकर रखें.
 मधुमक्खी के घर के आस पास हवा प्रतिरोधी पौधे लगाएं ताकि उन्हें ठंडी हवा से बचाया जा सके।  रानी मधुमक्खी के एक पंख को काट कर उसे कमेरी (वर्कर) मधुमक्खियों के साथ जाने से रोकें.  शहद के बक्से पर बारिश के पानी से बचने की व्यवस्था करें।  वातावरण अधिक ठंडा हो, तो रात के दौरान बोरी से ढँक दें और सुबह में निकालें ।  गर्मियों में, सीधे गर्मी से बचने के लिए इसे पेड़ की छांव के नीचे रखें। यदि संभव हो तो मिट्टी को ठंडा करने के लिए सिंचाई करें।  रोगग्रस्त शहद का बक्सा दूसरे बक्सों से अलग कर लें और रोग को नियंत्रित करने के लिए उचित कदम उठाएं।  मधुमक्खियों पर घुन बाहरी परजीवी के रूप में अपना जीवन व्यतीत करते हैं। उन्हें नियंत्रित करने के लिए, सल्फर पाउडर का छिड़काव करें।  चींटियाँ, बड़ी चींटियाँ, गिरगिट, छिपकली, भारतीय बाज़, कोतवाल पक्षी, कुछ ततैया, स्फिंक्स पतंगा, मोम पतंगा आदि जैसे मधुमक्खियों के कई दुश्मन हैं. उन्हें नियंत्रित करने के लिए उचित उपाय करें।  मधुमक्खियों में फाउल ब्रूड,सेप्टिसिमिया,आदि जैसी बीमारियों से उचित देखभाल करके जरूरी कदम उठाने चाहिए । ध्यान दें: शुद्ध शहद का गुणधर्म है जमना, अगर इसे गरम पानी में या धूप में रखा जाए, तो यह अपने मूल रूप में आ जाता है। डॉ. टी.एम. भरपोडा, एंटोमोलॉजी के पूर्व प्रोफेसर, बी ए कालेज ऑफ एग्रीकल्चर, आनंद कृषि विश्वविद्यालय, आनंद- 388 110 (गुजरात भारत)
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