गुरु ज्ञानAgrostar
मटर की फसल में पाउडरी मिल्डू का नियंत्रण!
🌿आज के गुरु ज्ञान में हम जानेंगे "मटर की फसल में पाउडरी मिल्डू का नियंत्रण"!
●मटर की फसल का यह सबसे भयंकर रोग है।
●एरीसिपे पिसी नामक फंगस के कारण होता है जो एक पादप रोगज़नक़ है इसके बीजाणु मृदा में व जंगली पौधों की पत्तियों पर पनपते हैं।
●बाद में उपयुक्त वातावरण मिलते ही रोग की उत्पत्ति का कारण बनते हैं।
● इस रोग के लक्षण पौधों के सभी भागों पर देखे जा सकते हैं।
● लक्षण छोटे सफेद चूर्णी धब्बों के रूप में होते हैं, जो संख्या एवं आकार में बड़े होने पर एक-दूसरे से मिल जाते हैं।
●रोगग्रस्त पौधों की टहनियों पर जो फलियां आती हैं, वे प्रायः बहुत छोटी व सिकुड़ी हुई होती हैं।
●फलियां पकने से पहले ही सूखकर नीचे गिर जाती हैं। अधिक संक्रमण होने पर सूख कर झड़ जाती हैं।
●संक्रमित कलिकाएं अन्य स्वस्थ कलिकाओं से पांच से आठ दिन बाद खिलती हैं और उन पर फल नहीं लगते।
●अगर उनमें फल लग भी जाएं तो वे छोटे आकारके रह जाते हैं।
▶रोकथाम
● इस रोग के नियंत्रण हेतु (मैन्कोजेब 63% + कार्बेन्डाजिम 12% WP) घटकयुक्त मन्डोज़ 300-350 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी मे घोलकर छिडकाव करें।
● इस रोग के नियंत्रण हेतु सल्फर 80% डब्ल्यूजी @ 750-1000 ग्राम प्रति.
🌿स्त्रोत:- AgroStar
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